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तीसरी समस्या है नशे की। आज के युवक जर्दा, शराब, पान-पराग और हेरोइन तक के नशे में जा रहे हैं। नशे में सारी चेतना नष्ट हो रही है।
एक युवा श्रावक नशे में पड़ गया। पत्नी भी बहुत अच्छी श्राविका। वह पत्नी से कहता है-तुम भी शराब पीओ। वह कहती है-मैं नहीं पीऊंगी। पति विवश करता है और वह नहीं मानती है तो पिटाई शुरू कर देता है। पत्नी दुःखी हो गई। उसने वेदना भरा एक पत्र लिखा गुरुदेव के नाम। अपनी समस्या प्रस्तुत की-'गुरुदेव! मैं क्या करूं? मेरी यह स्थिति बन गई। मैं शराब पी नहीं सकती और मेरी यह हालत हो रही है।' ये भयंकर स्थितियां हैं। इन पर अगर सामाजिक स्तर पर चिंतन नहीं हुआ तो समाज चिन्तनीय दशा में चला जाएगा। इसलिए आवश्यकता है कि इन सब पर चिंतन किया जाए, बार-बार सोचा जाए, कुछ अंकुश लगाया जाए। ___ संयम का संस्कार एक अंकुश है। जिन लोगों में संयम का, धर्म का संस्कार है वे बच जाते हैं। पर जो लोग यह समझते हैं कि धर्म हमारे लिए जरूरी नहीं, साधु-संतों के पास जाना भी जरूरी नहीं, हम अपने आपको स्वतंत्र अनुभव करते हैं, स्वतंत्र रहते हैं। न परिवार का अंकुश, न समाज का अंकुश, न धर्म का अंकुश-यह निरंकुश मदोन्मत्त हाथी स्वयं का अनर्थ करता है और दूसरों के लिए भी हानिकर होता है।
जहां असंयम की चेतना है, भोगवादी मानसिकता है वहां ये स्थितियां बनती हैं। ये निरर्थक आडंबर, तलाक और व्यसन धर्म और संयम के संस्कारों के क्षरण के परिणाम हैं।
इस स्थिति में जम्बूकुमार का जो चिंतन चल रहा है, उसे सुनकर मां को बहुत खुशी हुई। उसने सोचा–जम्बूकुमार के संस्कार कितने अच्छे हैं। यह कितनी त्याग और वैराग्य की बात कर रहा है, किस से प्रकार सचाई को समझ रहा है। भाग्य से ही इस प्रकार का संस्कारी पुत्र मिलता है। ____ इस प्रकार प्रसादपूर्ण वातावरण में मां और पुत्र के मध्य रहस्यमयी वार्ता चल रही है। जब रहस्य खुलेगा, तब मां का क्या होगा?
क्या मां जम्बूकुमार के संकल्प का स्वागत करेगी या उसके संकल्प को शिथिल बनाने का प्रयत्न?
गाथा परम विजय की
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