________________
व्यक्ति कोई भी बड़ा काम करता है तो उससे पहले एक संकल्प करता है। वह संकल्प उसे सिद्धि की ओर ले जाता है। जम्बूकुमार ने दीक्षा के महान् पथ पर प्रस्थान से पूर्व एक संकल्प किया। उसने ब्रह्मचर्य का व्रत स्वीकार कर लिया।
जो वैरागी बनते हैं, दीक्षा लेना चाहते हैं वे सबसे पहले एक-दो चीज का त्याग करते हैं। पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी ने कालूगणी के सामने दीक्षा की भावना प्रस्तुत की, प्रवचन-सभा में सबसे पहले खड़े होकर
गाथा अचानक कहा-'मुझे दो संकल्प दिला दो-१. मैं व्यापारार्थ प्रदेश नहीं जाऊंगा, २. मैं शादी नहीं करूंगा।' परम विजय की इन संकल्पों ने एक वातावरण का निर्माण कर दिया। ___ संकल्प कार्य को सिद्धि तक ले जाते हैं। जम्बूकुमार संकल्प-बद्ध हो गया। वह सुधर्मा को नमस्कार कर उद्यान से बाहर आया। राजगृह के प्रवेश द्वार के पास पहुंचा। जैसे ही वह मुख्य-द्वार के पास पहुंचा, अकस्मात् द्वार का एक बड़ा हिस्सा गिर गया। वह जम्बूकुमार के परिपार्श्व में गिरा। जम्बूकुमार बाल-बाल बचा। अगर थोड़ा सा अन्तर होता तो जम्बूकुमार की दीक्षा और समाधि-सब कुछ यहीं हो जाता।। ___इस आकस्मिक घटना से जम्बूकुमार का मन और अधिक संवेग से भर गया। उसने सोचा यह भी कोई प्रेरणा है कि मैं बच गया। अगर एक क्षण का भी, एक इंच का भी अंतर होता तो पता नहीं क्या होता? वैराग्य के संवेग की प्रबलता का एक और निमित्त बन गया। जम्बूकुमार इस चिंतन में लीन हो गया मृत्यु का कोई पता नहीं लगता। यह जो घटना हुई है और मौत टली है यह एक प्रेरणा है, सूचना है। अब मुझे
और अधिक जागरूक बनना है। पता नहीं कब क्या हो जाए? जब मौत आती है, व्यक्ति कहीं भी चला जाए, कोई नहीं बचा सकता। उपाध्याय विनयविजयजी ने बहुत सुन्दर लिखा है
प्रविशति वज्रमये यदि सदने तृणमथ घटयति वदने, तदपि न मुंचति हत! समवर्ती निर्दयपौरुषनर्ती। विनय! विधीयतां रे, श्री जिनधर्मशरणम्। अनुसंधीयतां रे शुचितरचरणस्मरणम्।।
११२