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________________ शिक्षाप्रद कहानियां 69 अभी वह कुछ ही दूर गया था कि उसने देखा सामने से एक भिखारी आ रहा है। उसने मन ही मन सोचा कि क्यों न इसका नाम इससे पुछकर रख लिया जाए। अतः उसने हिम्मत करके भिखारी से पूछ ही लिया कि भाईसाहब! आपका नाम क्या है? वह तुरन्त बोलाधनपाल। नाम सुनकर ठनठनपाल फिर चक्कर में पड़ गया कि कमाल है नाम तो धनपाल और माँग रहा है भीख । भला यह भी कोई नाम हुआ । और मन ही मन कहने लगा नहीं यह भी ठीक नहीं। इसी ऊहापोह में वह और आगे बढ़ गया। और तभी उसने देखा सामने एक औरत पशुओं के गोबर के सूखे कण्डे जिसको गाँव में छाना कहते हैं। वो बीन रही थी। उसने सोचा क्यों न इस औरत से पूछकर इसका जो नाम है वही रख लिया जाए। अतः उसने औरत से पूछ लिया बहन जी! आपका नाम क्या है? यह सुनकर वह बोली- लक्ष्मीबाई सुनते ही ठनठनपाल का माथा ठनका और बोला । नाम लक्ष्मीबाई और काम छाना बीनने का। भला यह भी कोई बात हुई। और मन में कहने लगा नहीं-नहीं यह भी कोई नाम हुआ। इसी प्रकार उसने और भी बहुत से लोगों से नाम पूछे। लेकिन उसे कोई भी नाम उपयुक्त प्रतीत नहीं हुआ और शाम को थक-हार कर घर लौट आया और पत्नी से बोला अमरसिंह को मरता देख्या, भीख माँगे धनपाल । छाना बीने लक्ष्मीबाई, चोख्यो ठनठनपाल ॥ इसका अर्थ तो आप समझ ही गए होंगे। अतः यह स्पष्ट है कि नाम का कोई महत्त्व नहीं होता, महत्त्व होता है काम का, आचरण का ३२. अध्ययन का उत्कृष्ट उदाहरण शहीद भगतसिंह का नाम तो हम सबने सुना होगा। उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए फाँसी को हँसते-हँसते गले लगाया था। 23 मार्च 1931 को उन्हें फाँसी लगनी थी लेकिन, उस दिन भी वे बिना
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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