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________________ 70 शिक्षाप्रद कहानिया किसी डर के अपनी जेल की कोठरी में लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे। दोपहर के समय जेल के अपने साथियों से भगतसिंह ने रसगुल्ले खाने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने रसगुल्लों का प्रबन्ध किया। भगतसिंह ने प्रसन्नचित होकर रसगुल्लों का रसास्वादन किया। यही उनका अन्तिम भोजन भी था। इसके बाद उन्होंने फिर से स्वयं को लेनिन की जीवनी पढ़ने में तल्लीन कर लिया। अध्ययनशील तो बड़े-बड़े हुए हैं लेकिन, अध्ययनशीलता का ऐसा उदाहरण शायद ही कोई मिलता हो कि मृत्यु सिर पर खड़ी हो और आप पुस्तक पढ़ने में तल्लीन हो? ___ कुछ ही समय पश्चात् जेल अधिकारियों ने आकर कहा'सरदार जी, चलिए फाँसी का समय हो गया है।' यह सुनकर भगतसिंह बोले- 'जरा ठहरो, एक क्रान्तिकारी दूसरे क्रान्तिकारी से मिल रहा है। कुछ समय बाद पुस्तक का जो प्रसंग वे पढ़ रहे थे, उसे समाप्त कर उन्होंने पुस्तक को एक तरफ रखते हुए कहा'चलो! अब मेरा काम पूरा हो गया। ___भगतसिंह के साथ-साथ सुखदेव और राजगुरु भी अपनी कोठरियों से बाहर आ गए। तीनों अन्तिम बार गले मिले। और एक-दूसरे की बाहों को हाथों में लेते हुए एक स्वर में गीत गाया- “दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फत, मेरी मिट्टी से भी खुशबू ए-वतन आएगी।' और वहाँ पर उपस्थित अंग्रेज अधिकारी से भगतसिंह ने कहाआप बड़े भाग्यशाली हैं कि आज आप अपनी आँखों से यह देखने का अवसर पा रहे हैं कि भारत के क्रान्तिकारी किस प्रकार प्रसन्नतापूर्वक सर्वोच्च आदर्श के लिए मृत्यु का आलिंगन कर सकते हैं। फिर तीनों ने मिलकर एक साथ नारा लगाया- इंकलाब जिन्दाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद। और इसके बाद तुरन्त ही वे फाँसी के तखते पर झूल गए।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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