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________________ 68 शिक्षाप्रद कहानिया सुदर्शना। पत्नी को अपने नाम के सामने पति का नाम बड़ा ही बेकार लगता। और वो बात-बात में उससे कहती कि भला यह भी कोई नाम है? आप कोई दूसरा नाम रखो। पति सुनकर टाल देता और कहता है कि- 'नाम-वाम से कुछ नहीं होता व्यक्ति का काम और आचरण अच्छा होना चाहिए।' पत्नी यह सब सुनकर खीझ जाती। और एक दिन तो उसने अपने मन में ठान लिया कि चाहे जो हो जाए मैं इनका नाम बदलवा कर ही रहूँगी। शाम को पति जब काम से थका-हारा घर लौटा तो पत्नी ने आदेशात्मक भाषा का प्रयोग करते हुए कहा कि- 'आपको पता है कि आपके नाम के कारण मेरी सहेलियों के बीच मेरी कितनी इनसल्ट (बेइज्जती) होती है। आज मैं आपसे अन्तिम बार कह रही हूँ कि कल जब घर में घूसो तो अपना नाम बदलकर ही आना। वरना यहाँ आने की कोई जरूरत नहीं है। ___ अब ठनठनपाल बड़ा ही चिन्तित हुआ। होता भी क्यों नहीं? पत्नी का आदेश जो था। अगले दिन प्रात:काल ही ठनठनपाल भी यह सोचकर घर से निकल गया कि आज वह अवश्य ही किसी अच्छे-से नए नाम के साथ घर में प्रवेश करेगा। और इसी उधेड़-बुन में वह गाँव के जंगल की ओर चल दिया। अभी वह कुछ ही दूर गया था कि उसने देखा एक शवयात्रा निकल रही है। यह देखकर वह भी उस शवयात्रा में शामिल हो गया और लोगों से पूछने लगा- ‘क्या हुआ भाई! कौन था मरने वाला? क्या नाम था इसका?' क्योंकि वह मन ही मन यह भी सोच रहा था कि अगर मरने वाला कोई पुरुष हुआ तो उसी का नाम रख लेगा। लोगों ने कहा- 'भाई! इसका नाम था- अमरसिंह।' नाम सुनते ही वह सोचने लगा- 'नाम अमरसिंह और मर गया। भला ये भी कोई नाम हुआ। अतः वह दूसरे नाम की खोज में आगे निकल गया।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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