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शिक्षाप्रद कहानिया १९. आपसी फूट के कारण पिटे
हरियाणा प्रान्त के गुड़गाँव जिले में एक छोटा-सा गाँव है। वहाँ तीन पड़ोसी रहते थे। पण्डित अमरनाथ, लाला बोहडुमल और पटवारी कंवरलाल। तीनों अपने-अपने काम में खूब व्यस्त रहते थे। व्यस्तता के कारण कई बार तो ऐसा भी होता था कि वे कई-कई दिन तक एक-दूसरे से मिल भी नहीं पाते। घर-गृहस्थी सम्बन्धी इतने काम होते कि मिलने का अवसर कम ही मिलता। लेकिन, फिर भी वे अपना समय हँसी-खुशी व्यतीत करते थे।
एक बार पास के ही एक शहर में दीपावली के उपलक्ष में मेले का आयोजन हो रहा था। सर्वप्रथम पण्डित जी को यह समाचार मिला। उन्होंने अपने दोनों पड़ोसियों को यह समाचार बताया। और वे तीनों मेले में जाने की योजना बनाने लगे। काफी विचार-विमर्श के बाद वे तीनों मेला देखने के लिए निकल पड़े।
उस समय यातायात के ऐसे साधन तो उपलब्ध नहीं थे, जैसे आजकल हैं। न बस थी, न कार थी, न ऑटो थे और यहाँ तक कि रेलगाड़ी भी नहीं थी। लोग पैदल ही यात्रा करते थे। अतः उन तीनों ने भी पैदल ही मेले में जाने का निर्णय किया। उन दिनों कुछ खास लोगों के पास घोड़े या बैलगाड़ी की सवारी हुआ करती थी।
मार्ग में चलते-चलते उन्हें भूख-प्यास लगी तो उन्होंने देखा एक गन्ने का खेत है। और उसमें लम्बे, हरियल और रसीले गन्ने उगे हुए हैं। पण्डित जी को तो देखते ही मुंह में पानी आ गया और तुरन्त बोलेभाई! हम तो गन्ना खायेंगे।
यह सुनकर लाला जी कहाँ पीछे रहने वाले थे, बोले- हम भी खाएंगे। पटवारी जी बोले- भाई! जब तुम दोनों गन्ना खाओंगे तो मैं क्या तुम्हें खाते हुए देखता रहूँगा? मैं भी गन्ना खाऊँगा।