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________________ 35 शिक्षाप्रद कहानिया समुद्र के किनारे से है अतः हमें किनारे-किनारे ही चलना है। लेकिन चूहिया कहाँ मानने वाली थी। बीच-बीच में घूसने लगी समुद्र में कुदरती उसी वक्त समुद्र में एक तेज लहर आ गई और लगी चूहिया समुद्र में डूबने। चिड़िया ने फिर अपनी मित्रता को निभाया और अपनी नन्हीं चोंच से पकड़कर चूहिया को बाहर निकाला। सर्वप्रथम उसके पेट में से समुद्र का खारा पानी निकाला तब कहीं चूहिया के जान में जान आई। आपको पता है अबकी बार चिड़िया ने क्या कुतर्क दिया। वह बोली- अरे! बहन तुम क्यों व्यर्थ में इतनी दुःखी होती हो मैं तो गंगास्नान करके पवित्र हो रही थी। इसी प्रकार और भी आगे कई घटनाएँ हुई, लेकिन चिड़िया अपनी मित्रता को निभाते हुए चूहिया का साथ देती रही। और चूहिया अपने स्वभावनुसार कोई न कोई तर्क देती गई। लेकिन चिड़िया उसे अन्त में पिकनिक कराकर हँसी-खुशी घर वापस ले आई। इसीलिए शास्त्रों में कहा भी जाता है कि यः स्वभावो हि यस्यास्ति, सः नित्यं दुरतिक्रमः। श्वा यदि क्रियते राजा, तत्किं नाश्नात्युपानहम्॥ अर्थात् जिसका जो स्वभाव है, वह बदल नहीं सकता। अर्थात् स्वभाव परिवर्तन होना कठिन है। जैसे यदि कुत्ते को राजा बना दिया जाये तो क्या वह जूता नहीं चाटेगा, अर्थात् अवश्य चाटेगा। यदि स्याच्छीतलो वह्निः, शीतांशुर्दहनात्मकः। न स्वभावोऽत्र मानां, शक्यते कर्तुमन्यथा॥ यदि अग्नि ठण्डी हो जाये और चन्द्रमा दाह पैदा करने लगे तो भी मनुष्य का स्वभाव बदला नहीं जा सकता। स्वभावो नोपदेशेन, शक्यते कर्तुमन्यथा। सुतप्तमपि पानीयं, पुनर्गच्छति शीतताम्॥ उपदेश से किसी का स्वभाव बदला नहीं जा सकता जैसे तपा हुआ भी पानी फिर से ठण्डा जो जाता है।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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