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शिक्षाप्रद कहानिया
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अब इनको लूटने में कोई परेशानी नहीं होगी। और उसकी योजना सफल भी हो गयी। उसने पाँचों को अलग-अलग लूट लिया।
जब पाँचों लुट चूके तो परस्पर विलाप करने लगे। उनमें सबसे बड़ा भाई बड़ा ही बुद्धिमान था। वह सोचने लगा जब तक हम पाँचों एक साथ थे तब तक किसी की हिम्मत नहीं हुई हमें लूटने की जैसे ही हम अलग-अलग हुए हमारे साथ यह घटना घट गयी। उसने तुरन्त भाइयों से कहा सुनो! रोने-धोने से कोई फायदा नहीं होने वाला है, थोड़ा दिमाग से काम लो। हम पाँच हैं और डाकू एक। अगर हम पाँचों मिल जाएं तो अपना सारा धन डाकू से वापस ले सकते हैं। इसीलिए बुजर्गों ने कहा भी है कि- एकता में बहुत बल होता है।
यह बात बाकी सभी भाइयों की समझ में आ गयी और वे सभी मिलकर डाकू के पीछे भाग लिए।
जब डाकू ने यह सब देखा तो वह घबरा गया और सोचने लगा अरे! ये पाँचों तो फिर एक हो गये। उसकी तो सिट्टी-पिट्टी ही गुम हो गई। और वह सारा धन वहीं फेंककर नो-दो ग्यारह हो गया।
तब पाँचों भाइयों ने अपना-अपना धन उठाया और चैन की सांस ली और हँसते-मुस्कराते अपने घर चले गए।
यह कहानी हमें यह शिक्षा प्रदान करती है कि- हम सबको मिल-झुल कर रहना चाहिए और मुसीबत के वक्त बुद्धि से काम लेना चाहिए।
८. अब पछताये होत क्या
चिड़िया चुग गई खेत
विश्व में कहावतों और सुभाषितों का अपना विशेष महत्त्व है। जो सदियों से चली आ रही हैं और वर्तमान में भी जीवन्त हैं, देखने में ये साधारण-सी प्रतीत होती हैं, लेकिन इनके हृदय में बड़ी-बड़ी शिक्षाएं