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शिक्षाप्रद कहानिया से टिकने नहीं देता। चाहे मैं गुफा में बैठ जाऊँ, और चाहे मैं मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारे में बैठ जाऊँ हर जगह मुझे तलाश कर लेता है। अब आप ही मुझे कोई ऐसी जगह बतलाएं जहाँ मैं शान्ति से रह सकूँ। सभी सभासद आपस में खुसर-फुसर करने लगे। तभी उनमें से एक वयोवृद्ध सभासद खड़े हुए और बोले- आप इस मनुष्य के अंदर छुपकर बैठ जाओ क्योंकि इसकी प्रवृति ही ऐसी है कि यह हर जगह तलाश करता है लेकिन अपने अंदर कभी तलाश नहीं करता है।
५८. मनुष्य की आयु सृष्टि की रचना करते हुए ब्रह्माजी प्राणियों में आयु का बँटवारा कर रहे थे। सबसे पहले उनके पास गधा आया। ब्रह्माजी ने कहा तुम्हारी आयु 40 वर्ष की है जाओ आराम से जीवन-यापन करो। यह सुनकर गधा बोला- हे प्रभु मैं इतनी लंबी आयु लेकर क्या करूँगा! इसको कुछ कम करो! ब्रह्माजी बोले- अरे! तुम्हें बहुत काम करना है खूब बोझा ढोना है। अपने मालिक की खूब सेवा करनी है। इसलिए यह आयु तुम्हारे लिए ठीक है। गधा बोला- नहीं प्रभु मुझे इतनी आयु नहीं चाहिए। कुछ कम करो तब ब्रह्माजी ने गधे को 20 वर्ष की आयु दे दी।
दूसरे नम्बर पर उनके पास कुत्ता आया। ब्रह्माजी ने उसे भी यही कहा जाओ तुम्हारी आयु 40 वर्ष की है आराम से जीवन-यापन करो। कुत्ते ने भी वही समस्या रखी जो गधे ने रखी थी। ब्रह्माजी ने उसे भी 20 वर्ष की आयु दे दी।
तीसरे नम्बर पर उनके पास उल्लू आया। ब्रह्माजी ने उसे भी यही कहा- जाओ तुम्हारी आयु 40 वर्ष की है सुखपूर्वक जीवन-यापन करो। उल्लू ने भी वही समस्या रखी जो गधे और कुत्ते ने रखी थी। ब्रह्माजी ने उसे बहुत समझाया लेकिन वह नहीं माना। तब ब्रह्माजी ने उसे भी 20 वर्ष की आयु दे दी।