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________________ 139 शिक्षाप्रद कहानिया चौथे नम्बर पर उनके पास आदमी आया। ब्रह्माजी ने उसे भी यही कहा जाओ तुम्हारी आयु 40 वर्ष की है सुखपूर्वक जीवन-यापन करो। यह सुनते ही मनुष्य बोला- हे प्रभु! यह तो बहुत कम आयु है। मैं इतनी-सी आयु में क्या करूँगा? यह सुनकर ब्रह्माजी बोले यह तो बहुत आयु है। बचपन में खेलना-कूदना, पढ़ना-लिखना, पद-पोस्ट प्राप्त करना, शादी-विवाह करना, गृहस्थ जीवन जीना आदि। इन सबके लिए यह आयु पर्याप्त है। लेकिन मनुष्य नहीं माना। अंत में ब्रह्माजी ने कहाअच्छा तुम नहीं मानते तो एक काम करो मेरे पास 20 वर्ष गधे की आयु के हैं वे तुम ले लो। मनुष्य फिर भी नहीं माना तो ब्रह्माजी बोले अच्छा मेरे पास 20 वर्ष कुत्ते की आयु के हैं वे भी तुम ले लो। लेकिन मनुष्य फिर भी नहीं माना तो ब्रह्माजी ने कहा कि मेरे पास अंतिम 20 वर्ष उल्लू के शेष है वह भी तुम ले लो इस प्रकार 100 वर्ष की आयु प्राप्त करके मनुष्य बड़ा प्रसन्न हुआ। इसलिए मनुष्य 40 वर्ष की आयु तक सुख-पूर्वक जीवन व्यतीत करता है। उसके बाद गधे की 20 वर्ष आयु लेकर गधे की तरह संसार का भार वहन करता है। तत्पश्चात् कुत्ते की 20 वर्ष आयु लेकर घर की रक्षा करता है। इसी प्रकार उल्लू के 20 वर्ष लेकर मनुष्य रात में जागता है। ५९. ज्ञान का प्रभाव एक सेठ का बहुत बड़ा कारखाना था। उससे बहुत से परिवारों की आजीविका चलती थी। सेठजी की करोड़ों की आमदनी थी। ___ एक दिन अचानक कारखाना बन्द हो गया। किसी मशीन में कोई खराबी आ गई। काम बन्द हो गया। लोग इधर-उधर भाग-दौड़ करने लगे। बहुत लोगों ने अपना-अपना दिमाग लगाया लेकिन मशीन ठीक नहीं हो सकी।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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