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________________ उस धूर्त ने गाना गाकर नर्मदा को अपने पास बुलाने का संकेत | यह धूर्त संध्या और मध्यरात्रि में अपना गाना गाकर इस सुन्दरी को किया है। निश्चय ही यह धूर्त पर स्त्री लम्पट व्यक्ति इसके बुलाने का संकेत करता है। जिस प्रकार चन्दन द्रव्य का त्याग कर हृदय में निवास करता है। यह मेरे साथ इसीलिए आई है कि मक्खियाँ अशुचिगव्य के स्पर्श को ही सर्वस्व समझती है। उसी प्रकार स्वच्छन्द होकर अपने इस जार के साथ विहार कर सके। नारियाँ भी रूप यौवन युक्त पति का त्याग कर धूर्त और विटों का सहवास करती है। नारियाँ झूठे स्नेह का प्रदर्शन करती हैं, कपट द्वारा मन का अनुरन्जन करती हैं, पर उनके हृदय के वास्तविक भाव को कोई भी नहीं जान सकता है। Aloo वह सोचने लगा- इस पुंश्चली के साथ अब इस प्रकार ऊहापोह करने के पश्चात् उसने निश्चय किया कि इस समुद्र के मध्य में मेरा रहना सम्भव नहीं है। अतः किसी तरह|| अत्यन्त विस्तृत भूतरमण नामक द्वीप है। इसमें मनुष्य निवास नहीं करते और वहाँ इसका परित्याग करना चाहिए। यदि मैं इसका भोजनादि की वस्तुएं ही अनुलपब्ध है। अतः उस निर्जन द्वीप में इसका परित्याग कर वध करूँगा तो स्त्री हत्या का पाप लगेगा, जो|| देने से यह अपने किये गये कर्मों का फल स्वयं प्राप्त करेगी। उसने घोषणा की किठीक नहीं। ऐसा उपाय करना चाहिए। जिससे यह अपने किये दुष्कर्म का फल स्वयं मधुर जल से परिपूर्ण महा ऊर्धनामक जल का कुण्ड भूत रमण द्वीप में है, अतः प्राप्त करें। वहाँ से जल लेकर आगे बढ़ेंगे। WITRIPAWAR AHMANOMINDIA प्रेय की भभूत
SR No.033234
Book TitlePrey Ki Bhabhut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRekha Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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