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प्रहस्त के सुझाव पर वायुकुमार काले कपड़े पहनकर | कुछ देर में अंजना सखियों के साथ कमरे में आई। वायु मार्ग से चलकर अंजना के सात खंडोवाले महल पर अपूर्व सुंदरी है, अंजना ! पहंचे और वे वहां अंजना के आने की प्रतिक्षा करने लगे। मित्र, इसके रूप का वर्णन
करना कठिन है। .
अंजना! तुम धन्य हो कि (वायुकुमार जैसा सुन्दर वर मिला।
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लेकिन सौदामिनी प्रभ की बात ही और थी वायुकुमार उसके सामने कुछ भी नहीं है।
मित्र प्रहस्त ! दूसरी सखी ने हमारी निन्दा की और अंजना ने उसका विरोध नही किया- यानी अंजना को मेरी निन्दा अच्छी लगी। मैं अभी तलवार से दोनों के सिर उड़ा दूंगा।
नहीं, कुमार। वीरों की तलवार अबलाओं पर
नहीं चला करती। चलो ! शांत हो जाओ।
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जैन चित्रकथा