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बसंत ऋतु का आगमन हुआ। फाल्गुन मास में | अष्टाह्निका पर्व आया। राजा महेन्द्र सपरिवार पूजन | वंदना के लिए नंदीश्वर दीप आकाशमार्ग से गए।
नंदीश्वर द्वीप में राजा प्राहलाद भी वंदना के लिए आए थे। राजा महेन्द्र से उनकी भेंट हुई।।
आजकल तो राजा प्राहलाद, बस
एक ही चिन्ता है ! बेटी अंजना के राजा महेन्द्र!
लिए योग्य वर की खोज .... सब कुशल तो है?
यदि आप सहमत हों तो आपके पुत्र वायुकुमार को हम अपना दामाद बना लें।
वायकुमार को जब यह समाचार मिला तो वह अंजना के रूप-सौन्दर्य को देखने के लिए लालायित हो उठा।
(यह तो अति उत्तम सुझाव है, राजा) महेन्द्र। मैं भी वायुकुमार के लिए योग्य कन्या की खोज में था। आपने सारी चिन्ता दूर कर दी।
मित्र प्रहस्त ! ज्योतिषियों ने तो
तीन दिन बाद विवाह का मुहूर्त निकाला है। किन्तु अंजना को देखे बिना मुझे चैन नहीं मिलेगा। उसे
देखने का कोई यत्न करो।
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महाबली हनूमान