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________________ सब शास्त्र व शस्त्र विद्या में प्रवीण, सर्व लक्षण निपुण, सर्व प्रिय श्रीराम चतुरंग सेना के साथ अपने देदीप्यमान रथ पर दोनो भाई आरूढ हो राजा जनक की मदद के लिए चले। उधर से राजा जनक व कनक दोनो भाई सेना सहित आ डटे म्लेच्छों और सामन्तों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया। महाराज जनक व कनक बरबर देश के म्लेच्छों की सेना के बीच घिर गये थे। उसी समय श्रीराम और लक्ष्मण पहुंच गये। आह! MARCपृथ्वी के रक्षक, धीर वीर श्रीराम शत्रु की विशाल सेना में प्रवेश कर गये - जैसे मदमस्त हाथी कदली वन को नष्ट करता है वैसे शत्रु सेना का विध्वंस करने लगे। राजा जनक व कनक दोनो भाईयों को बचा लिया - लक्ष्मण की बाणवर्षा के सामने सारी शत्रु सेना छिन्न-भिन्न हो गयी। असंख्य सैनिक धराशायी हो गये। जो बचे जान बचा कर भाग गये। तब उनका अधिपति आतरंग सामना करने आया। महाभयंकर युद्ध किया, उसने लक्ष्मण का रथ तोड़ दिया। तब पवन वेग से श्रीराम ने लक्ष्मण के समीप आकर दूसरे रथ पर लक्ष्मण को चढाया और स्वयं शत्रु सेना पर टूट पड़े। अग्नि जैसे वन को भस्म करती है वैसे ही शत्रु की अपार सेना को बाणो से नष्ट कर दिया। बची सेना हथियार डालकर भाग गयी। owयारण्Y ER LIA लक्ष्मण सहित श्रीराम ने राजा जनक को प्रसन्न कर विदा किया और स्वयं अपनी राजधानी को प्रस्थान किया। जैन चित्रकथा
SR No.033226
Book TitleJanak Nandini Sita
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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