________________ 2. . આચાર્ય શ્રી ઘર્મઘરેઘશસૂરીશ્વરજી મ.. શ થનું जैनसाहित्यक्षेत्र में चिंतामणी रत्न समान हैं - श्री अभिधान राजेन्द्रकोश ओम् श्री पार्श्वनाथाय नमः पूज्यश्रीजी! आपश्री वंदना सुखशाता! ___ आपश्रीजी ने संदेश / शुभकामना पत्र व लिए याद किया तदर्थ धन्यवाद ! हा, जो संदेश लिखना चाहता हूं वह तो बाद में ही लिख पाउंगा। अभी तो इतना ही लिखना चाहता हूं एक अत्यंत उपयोगी कार्य को प्रारंभ करते और उस कार्य को इतने सुंदर मुद्रण कार्य तक पहुंचाने के लिए आपको एवं आपके सहयोगियों को हृदय से साधुवाद, साधुवाद, साधुवाद! अभिधान राजेन्द्रकोष जैन साहित्य की अप्रतिम धरोहर है। जैन साहित्य के क्षेत्र में यह अलौकिक तेजः संपन्न दिव्य चिंतामणी रत्न है। मूल सूत्र से तैयार करने के लिए पूज्यों की श्रुतभक्ति और श्रुताराधना की तो भूरि-भूरि अनुमोदना के साथ-साथ उस कार्य को बहुत ही ज्यादा उपयोगी बनाया है। गुजराती अनुवाद करके सभी भागों का इसी रीति से शीघ्रातिशीघ्र अनुवाद छपवाए ऐसी आपसे अपेक्षा रखता हूँ। #. द. आ.धर्मधुरंधरसूरि (पू. वल्लभसूरि समुदाय) ५.यू. सार्थ श्री शिवभुजि .AL STEA यत्र આચાર્યશિવમુનિ દ્વારા મંગલ સંદેશ अभिधान राजेन्द्रकोष के नवीन संस्करण के पश्चात 'शब्दो के शिखर पर' नामक गुजराती अनुवाद ग्रंथ प्रकाशित होने जा रहा है। यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई। इसका हिन्दी और अंग्रेजी अनुवाद भी अतिशीघ्र प्रकाशित हो रहा है। जिनशासन की प्रभावना का यह महत्वपूर्ण कार्य आचार्य श्रीमद्दविजय जयत्नसेन सूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा एवं आशीष से मुनि श्री वैभवरत्न विजयजी महाराज अपने पुरुषार्थ से इसे लोकभाषा में उपलब्ध करवा रहे है। एतदर्थ हार्दिक साधुवाद। आत्मज्ञान से केवलज्ञान तक पहुंचने में श्रुतज्ञान का महत्वपूर्ण स्थान है। यह द्रव्यश्रुत का निमित्त बनें / जन जन के अज्ञान तिमिर को हटाकर सत्य का प्रकाश फैलाने में सहायक बनें / विश्व में जैन धर्म पर शोध करने वाले शोधार्थीओ लके लिए अत्यंश सहयोगी हो, यही हार्दिक मंगल कामना।