________________ 138-146] कुम्भापुत्तरिय कुम्मापुत्ता अन्नो को धन्नो जो समायतायाणं / बोहत्थं नाणी वि हु घरे ठिोऽनायवित्तीए // 138 // गिहवाससंठिअस्स वि कुम्मापुत्तस्स जं समुप्पन / केवलनाणमणंतं तं पुण भावस्स उल्ललिअ // 139 // भावेण भरहचक्की तास्सिसुद्धतमज्झमल्लीणो। आयंसषरनिविडो 'गिही वि सो केवली जाओ // 140 // वसग्गि समारूढो सुणिपवरे के वि दहु विहरते। गिहिवेसइलापुत्तो भावेणं केवली जाओ // 14 // आसाढभूइमुणिणो भरहेसरपिक्खणं कुणंतस्स / उप्पन्नं गिहिणो वि हु भावेणं केवलं नाणं // 142 // मेरुस्स सरिसवस्स य जत्तियमित्तं च अंतरं होइ / दव्वत्थयभावत्थाण अंतरं तत्तियं णेयं // 143 // उकोसं दव्वत्थयमाराहिअ जाइ अच्चुअं जाव / भावत्थएण पावइ अंतमुहुत्तेण णिव्वाणं // 144 // अह मणुयखित्तमज्झे महाविदेहा हवंति पंचेव / इकिकम्मि विदेहे विजया बत्तीसबत्तीसं // 145 // बत्तीसपंचगुणिया विजया उ सयं हविज संहिजुअं। भरहेरवयक्खेवे सतरिसर्य होइ खित्ताणं // 146 // 1 अ छ ट. कुम्मापुत्तो अन्नो. 2 ट त. ठिओ नाय-(न्याय-) वित्तीए. 3 छ. दुल्लंघं. अक गव. दुल्ललिअं 4 अ गिहवासो; ट घ छ गिहिवासो, 5 त ब बंसग्गसमानढो. 6 क. ब. मुणिवरे; ट. मुणीवरे. ७.त. विरहंतो, 8 अ. क, ज, त. विजया इ सयं 9 क सट्रियं. 10 अख क ग घ त ब, खित्ताणि; छ. खेत्ताणि,