________________ कुम्मापुत्तचरि 199-137 तारुण्णे सव्वेसि क्सियविगारा बहुप्पगारा वि / सो पुण विसयविरत्तो कुम्मापुत्तो मुणियतत्तो // 129 // हरिहरबंभाइसुरा विसएहि वसीकया य सम्वे वि। धन्नो कुम्माषुत्तों विसया वि वसीकया जेण // 130 // जं तेण पुव्वजम्मे मुचिरं परिपालिअं सुचारितं / तं तस्स वि तारुण्णे विसयविरत्तत्तणं जायं // 131 // अण्णदिणम्मि मुणीसरगुणिज्जमाणं सुयं सुणतस्स। कुमरस्स तस्स विमलं जाईसरणं समुप्पण्णं // 132 // . जाईसरणगुणेणं संसारासारय मुणतस्स / / खेवगस्सेणिगयस्स वि सुकज्झाणं पवनस्स // 133 // झाणानलेण कम्भिधणनिवहं दुस्सहं दहंतस्स / केवलणाणमणंतं समुज्जलं तस्स संजायं // 13 // जर ताव चरित्तमहं गहेमि ता मज्झ मायतायाणं / मरणं हविज गणं सुअसोगविओगदुहिआणं // 135 // तह्मा केवलकमलाकलिओ निमायतायउवरोहा / चिहइ चिरं घराम अ स कुमारो भावचारित्तों // 136 // कुम्माषुत्तसरिच्छो को पुत्तो मायतायपयभत्तो। जो केवली वि सघरे ठिओ चिरं तयणुकंपाए // 137 // 1 अ. कुम्मापुत्तो सुणियतत्तो; ट कुम्मापुत्तोमुणेयव्वो. 2 क. परिपालिओ. 3 ज ब. विसयेसु विरतणं जाअं. 4 त. गणिज्जमाणं. 5 ब. खवगस्सणिं गयस्स 6 ग जइ तवचारित्त. 7 क नियमायउवरोहो. 8 क ब घरच्चिय; ट घरे चिय. 9 ट ब भावचारित्ती.