________________ कुम्मापुतचरि उक्कोसपए लब्भइ विहरंतजिणाण तेत्य सतरिसयं / ईअ पासंगिअमुत्तं पकंतं तं निसामेह // 147 // तत्थ य महाविदेहे सुपसिद्धे मंगलावईविजए / नयरी अरयणसंचयनामा धणधन्नअभिरामा // 148 // तीए देवाइच्चो चक्कधरो तेअविजिअआइच्चो। चउसठिसहस्सरमणीरमणो परिभुंजए रजं // 149 // अण्णदिणे विहरतो जगदुत्तमनामधेयतित्थयरो। वरतरुअरप्पहाणे तीसुजाणे समोसरिओ // 150 // वेमाणिअजोईसवणभवणेहि विनिम्मिश्र समोसरण / रैयणकणयरुप्पमयप्पागारतिगेण रमणिजं // 151 // सोऊण जिणागमणं चक्की चको व्व दिणयरागमणं / संतुट्ठमणो वंदणकए समेओ सपरिवारो // 152 // तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करिय वंदिय जिणंदं / जहजुग्गम्मि पएसे कयंजली एस उवविठ्ठो // 153 // 1 अ तत्थ सत्तरीसयइ; ट घ त, तत्थ सत्तरिसयं. 2 अ अप्पासंगिय; ग छ ज, इय पासंगिय. 3 क ग घ ज त ब. चउसठिसहसरमणी; ख ट चउसठसहस्स. 4 घ वरतरुप्पअरप्पहाणे; ब वरतरुनिअरपहाणे; ग वरतरुअरअभिहाणे, 5 अ तेसुजाणे, च पुस्तके 'तीसुजाणे समोसरिओ' इति चरणः 'वेमाणिअ.... रुप्पमय' इति चरणत्रयं च नोपलभ्यते लेखकप्रमादेन, 6 अ क त ब. जोइसवरभवणेहिं, 7 घ त. ब रयणज्जुणरुप्प० ट. रयगरययसुवण्णमय; अ रयणंजण; क रयणजणरुप्पमय. 8 क. ग. जिणिदं,