________________ कुम्मापुत्तचरि [70-78 निअमायतायदंसणसमुल्लसंतप्पमोअभरभरि / केवलनाणिसगासे अमरी विणिवेसए कुमरं // 7 // अह केवली वि सन्वेसि तेसिमुवगारकारणं कुणइ / धम्मस्स देसणं संमयेऽमयरससारणीसरिसं // 71 // जो भविओ मणुअभवं लहिउँ धम्मप्पमायमायरइ / सो लद्धं चिंतामणिरयणं रयणायरे गमइ // 72 // एगैम्मि नयरपवरे अस्थि कलाकुसलवाणिओ को वि / रयणपरिक्खागंथं गुरूण पासम्मि अन्भसइ // 73 // सोगंधियककेयणमरगयगोमेयइंदनीलाणं / जलकंतसूरकंतयमसारगलंकफलिहाणं // 74 // इच्चाइयरयणाणं लक्खणगुणवण्णनामगुत्ताई। सव्वाणि सो विआणइ विअक्खणो मणिपरिक्खाए // 7 // अह अन्नया विचिंतइ सो वणिओ किर्मवरेहि रयणेहिं / चिंतामणी मणीगं सिरोमणी चिंतिअत्थकरो // 7 // तत्तो सो तस्स कए खणेइ खाणीओ णेगठाणेसुं / तह वि न पत्तो स मणी विविहेहि उवायकरणेहिं // 77 // केण वि भणि वचसु वहणे चडिऊण रयणदीवंमि / तत्थथि आसपूरी देवी तुह वंछियं दाही // 78 // 1 घ. अह केवली सवेसिं 2 च. समय अमय; ब. समए. 3 अ लदि; क. ब.ल; ग त. लहिउं 4 क गधछ ब पुस्तकानि 'एगम्मि० इत्यादेः प्राक् 'तथाहि' इति समधिक पठन्ति / 5 ब मसारगभंक. 6 अ. किमवि उवाएहिं. 7 छ त ब खाणीउ णेग; ग ट खाणी अणेग.