________________ 79-87] कुम्मापुतचरिअं 13 सो तत्थ रयणदीवे संपत्तो इक्कवीसखवणेहि। आराहइ तं देविं संतुहा सा इमं भणइ // 79 // भो भद्द केण कज्जेण अज्ज आराहिआ तए अहयं / सो भणइ देवि चिंतामणीकए उज्जमो ऐसो // 8 // देवी भणेइ भो भो नत्थि तुहं कम्ममेव सम्मकरं / जेणपति सुरा वि अधणाणि कम्माणुसारेणं // 81 // से भणइ जइ मह कम्मं हवेइ तो तुज्झ कीस सेवामि / तं मज्झ देसु रयणं पच्छा जं होउ तं होउ // 82 // दत्तं चिंतारयण तो तीए तस्स रयणवणिअस्स / सो निअगिहगमणत्थं संतुहो वाहणे चडिओ // 83 // पोअपएसनिविठ्ठो वणिओ जा जलहिमज्झमायाओ। ताच य पुवदिसाए समुग्गओ पुण्णिमाचंदो // 84 // तं चंदं दणं निअचित्ते चिंतए स वॉणियो। चिंतामणिस्स तेअं अहिअं अह वा मयंकस्स // 85 // इअ चिंतिऊण चिंतारयणं निअकरतले गहेऊणं / नियदिहीइ निरक्खइ पुणो पुणो रग्रणमिदं य // 86 // इअ अवलोअंतस्स य तस्स अभग्गेण करतलपएसा। अईसुकुमालमुरालं रयण रयणायरे पडिअं॥८॥ 1 अ च छ त. एस. 2 अ च छ त ब. तुह 3 क ट त. सो भणइ मह कम्मं; 4 घ पुस्तके "दत्तं चिंतारयणं०" इति आर्या न दृश्यते। 5 अ. वाणिओ. 6 क ख ग घ ब निरिक्खइ. 7 छ ब. अइसुकुमालपुरालं; क चज. अइसुकुमालसुसलं; ट. अइसुकुमालत्तणओ रयणं०