________________ 43-51] कुम्मापुत्तचरि * पंचसु जिणकल्लाणेसु चेव महरिसितवाणुभावाओ। जम्मंतरनेहेण य आगच्छंति हु मुरा इहयं // 43 // तेउ केवलिणा कहिअं तीसे जम्मंतरसिणेहाइ / ते बिति तओ सामिय अइबलिओ कम्मपरिणामो // 44 // भयवं कया वि होही अम्हाण कुमारसंगमो कह वि। तेणुत्तं होही पुण जयेह वयमागमिस्सामो // 45 // इअ संबंधं सुणिउं संविग्गा कुमरमायपियरो य / लॅहुपुत्त ठविअ रज्जे तयंतिए चरणमावन्ना // 46 // दुक्करतवचरणपरा परायणा दोसवज्जियाहारे / निस्संगरंगचित्ता तिगुत्तिगुत्ता य विहरति // 47 // अन्नदिणे गामाणुग्गामं विहरतओ अ सो नाणी। तत्थेव दुग्गिलवणे समोसढो तेहि संजुत्तो॥४८॥ अह जक्खिणी अवहिणा कुमरस्साउं विआणिउं थोवं / तं केवलिणं पुच्छइ कयंजली भत्तिसंजुत्ता // 49 // भयवं जीवियमप्पं कहमवि तीरिज्जएभिवड्डेउं / ले। तो कहइ केवली सो केवलकलिअत्यवित्थारो॥५०॥ तिर्थयरा य गणधरा चक्कधरा सबलवासुदेवा य / अइबलिणो वि न सका काउं आउस्स संधाणं // 51 // 1 क. ता केवलिणा; ख ब. तो केवलिणा। 2 क जम्मंतरस्सिणेहाए / 3 अ ख त प अम्हाणं कुमार. 4 ट ब लहुपुत्तं. 5 अ प जीवियमेयं. 6 क ट तित्थयरा गणधारा.