________________ . 36 सिरिरवणसहरसूरिहि संकलिया सो गामाग वरपरनेसु कोङहलाई पिक्वती। निम्भयचित्तो पंचागणुव्व निरिपरिसरं पचौ // 32 // तत्थ य एमि वणे नंदणवणसरिससरसपुष्फफलें। कोइलकलरवरम्भ तरुपति जा निहाइ / / 363 / / ता चारुचैपयतले आसी पवररूवनेक्त्यै / एंगे सुंदरपुरिस पिक्खइ भतं च मार्यते // 364 // सो जावसमत्तौए विणयपरो पुच्छिो कुमारेण / कोऽसि तुम किं प्रायसि एमागी *च इव वणे ? // 36 // तेणुतं गुरुदत्ता पिज्जा मह अत्यि सा मए जपिओ। परसुचरसहिगमंतरेण सा में न सिज्नेह // 266 // जाते होऽसि महायस ! मह उत्तरसाहगो कहवि अन्ज / ताऽहं होमि कयस्थो, विज्जासिदोइ निम्मत // 267 // तसो कुमरकरण साहज्जेण स साहगो पुरिसों। गई सिदविजों मामी एगाइ रयनीए // 68 // सची सहमरिसेप तेण कुमरम्स भोसहीजुब। पडिउववारस पर दाऊन मणिप्रमेयं च // 369 // जलतारिणी में एगो परसस्थनिवारिणी सहा गोया। एयाउ ओसहीओ विषाउमरिकाउ पारिता // 30 // कुमरेण समै सो विजसाहगो मार गिरिनिवमि / वा तत्व पाउचाइमारसहि परिस मापनी // 371 / /