________________ सिरिस्वासहरसूरिहि संकलिया तीए निबंधूण व, कहिओ सव्वोऽपि निययधुसंतो। तेहिं च सा सभइणिव्य सम्ममासासिभा एवं // 302 // मा कस्सवि कुणसु भयं, अम्हे सव्वे सहोअरा तुज्झ / एयाइ वेसरीए आरूढा चलमु वीसत्था // 303 // तत्तो जा सा वरवेसरीए चडिआ पडेण पिहिअंगी। पेडयममंमि ठिया, नियपुत्तजुआ सुई वयइ // 304 // ता पत्ता वेरिभडा उभडसत्येहि भोसणायारा। पुच्छंति पेडयं भो दिठा किं राणिआएगा ? // 305 // पेडयपुरिसेहिं तभो, भणि भो अस्थि अम्ह सत्थमि / रउताणियावि नून, जइ कज्ज ता पगिण्हेह // 306 // एगेण भडेण तओ, नायं भणि च दिति मे पाम / सव्वं दिज्जइ संतं, तो कुट्ठभएण ते नहा // 307 // तेहिं गएहिं कमला, कमेण पत्ता सुहेण उज्जेणिं / तत्थ ठिा य सपुत्ता, पेडयमन्नत्य संपत्तं // 308 // भूसणधणेण तणशो, जा विहिभो तोइ जुन्बणाभिमुहो। ता कम्मदोसबसओ, उपस्रोगेण सो गहिओ // 309 // बहुएहिपि करहिं, उक्यारेहिं गुणो न से जाओ, कमलप्पहा अदबा, नणं जगं पुच्छए ताव // 10 // केणवि कहि बीसे, कोसंबीए समथि परविज्जो / जो अट्ठारसनाइ, कुस्स हरेइ निग्मतं / / 311 //