________________ सिरिसिरियाका व सध्यकलाकुललो, तोवररूपणकायको / एरिसओ होउ क्रो, अहवा तामोचिष पमाणे // 44 // जेणं साथ तुम चिय, सेवयजणमणसमीस्वित्थाणं / पूरणपषणो दीससि, पच्चक्खो कपरूक्खव्व / / 85 // तो तुटो नरनाहो, दिद्विनिवेसेण नायवीइमणा / 'पभणेइ होउ बर ! एसभीदवणो चरो तुम // 86 // सोसयलसभालोओ, पममइ नरनाह ! इस संनोसो। अइसोहणोऽहिवलोपूगतरूण व नियंत / / 87 // अह मयणसुन्दरीचि हु, रकन नेहेष पुछिया क्च्छे। केरिसओ तुझ वरो, कोरउ ? मह कहसु अविलंय 88 // सा.पुण जिणवयणचियारसारसंजनियनिम्मलतिया। राज्यराणिकसज्जा, अहोमुही जा न जंपेइ // 89 // ताप नरदेण पुणो पुटा सा भणइ ईसि हसिऊणं / लाय ! विषयसमेओ, पुष्छसि सखि किमजुर // 9 // जेण वाहियो , न कहति हवेउ एस मजा को। जो किर पिऊहिं दिनो, सो घेव माणियबुत्ति // 11 // अम्मापिउणोवि निमित्तमित्तमेवेह चरपयामि। 'पायं पुन्वनिबद्धो, सम्बन्धो होइ जीवाण // 12 // * जेण जया जास्सिमुपन्मिय होइ कम्म मुहममुई। सं वारिस वा से, संपज्जहा दोरिथनिबद्धं // 13 // ना कमा बहुमुना, दिना कुकुलेवि सा हवइ मुश्यिा / जा होइहीणपुमा, मुगुरले दिसापिसा दुहिया // 14 //