________________ .... 'सिरिसिरिवालकहा एगा सत्ता दुविहो नओ य कालत्तयं गइचउकं / / . पंचेव अत्थिकाया, दव्वछक्कं च सत्त नया // 63 // अठेव य कम्माइं नवतत्ताई च दसविहो धम्मो। एगारस पडिमाओ बारस वयाई गिहीणं च // 14 // इच्चाइ वियाराचारसारकुसलत्तणं च संपत्ता। . अन्ने सुहुमवियारेवि मुणइ सा निययनामं व // 65 // कम्माणं मूलुत्तरपयडीओ गणइ मुणइ कम्मठिई / जाणइ कम्मविवागं, बंधोदयदीरणं संतं // 66 // . जीसे सो उज्झाओ, संतो दंतो निइंदिओ धीरो। निणमयरओ सुबुद्धी, सा किं नहु होइ तस्सीला ? // 67 // सयलकलागमकुमुला, निम्मलसम्मत्तसीलगुणकलिया / लज्जासज्जा सा मयणसुंदरी जुव्वण पत्ता // 68 // अन्नदिणे अभितरसहानिविटेण नरवरिदेण / अझावयसहियाओ, अणाविआओ कुमारीओ // 69 // विणओणयाउ ताओ, सरुवलावन्नखोहिअसहाओ। विणिवेसिआउ रन्ना, नेहेणं उभयपासेसु // 70 // हरिसवसेणं राया, तासिं बुद्धिपरिक्खणनिमित्तं / एग देइ समस्सा-पयं दुविन्हंपि समकालं // 71 // यथा " पुनिहि लब्भइपहु;" ........... तो तकालं अइचंचलाइ / अच्चंतगव्वगहिलाए, सुरसुन्दरीइ भणियं, हुं हुं पूरेमि निसुणेह // 72 // .