________________ 1927 - खंडवा चातुर्मास, "प्रतिष्ठासार संग्रह' की रचना की, जैन व्यायामशाला की स्थापना कराई / दक्षिण महाराष्ट्र दि० जैन सभा के अधिवेशन की अध्यक्षता की। अपने उग्र सुधारबाद के बढ़ते हुए विरोध के कारण संबद्ध संस्थाओं की सुरक्षा की दृष्टि से 'जैनमित्र" व "वीर" की संपादकी से तथा स्याद्वाद विद्यालय आदि से त्यागपत्र दे दिया / 1928 - रोहतक चातुर्मास, "बृहद् सामायिक पाठ" की टीका लिखी पं० उग्रसेन वकील से “नियमासार" का अंग्रेजी अनुवाद कराया। 1926 - उसमानावाद चातुर्मास, "समयसार-कलश-टीको का भावार्थ लिखा। 1930 - अमरोहा चातुर्मास, बृहद्-जैन शब्दार्णव (पूरक द्वि० भाग) तथा "बृहतस्वयंभ-स्त्रोत" की टीका लिखी। इसी वर्ष परम प्रसंसिका महिलारत्न मगनबेन जे० पी० दिवंगत हुई / 1931.- मुरादाबाद चातुर्मास, "मोक्षमार्ग प्रकाशक" (पूरक द्वि० भाग) "महिलारत्न मगनबेन" पुस्तक लिखी। 1932 - सागर चातुर्मास, तारण स्वामी के साहित्य की टीकायें "तारण-तरण श्रावकाचार-टीका" तथा "जैन-बौद्ध तत्वज्ञान" (हिन्दी अंग्रेजो) लिखी / तारणपंथी समैया जैनो में जागती फंकी। सिंहल द्वीप (लंका) की यात्रा-बौद्ध बिहार में रहकर बौद्धधर्म का विशेष अध्ययन किया / कोलम्बो आदि नगरों में जैनधर्म का प्रचार किया / / इटारसी चातुर्मास, वहाँ भा० दि० जैन परिषद का वार्षिक अधिवेशन कराया, तारण स्वामी कृत 'ज्ञान-समुच्चयसार" की टीका तथा 'जैनधर्म प्रकाश' पुस्तक लिखी। दि० 20-10-33 को इटारसी के तारण समाज द्वारा अभिनन्दन पत्र समर्पित / बर्मा की यात्रा की और रंगून में जैनधर्म पर कई भाषण दिये। रगून की थियोसोफिकल सोसाइटी में कर्म-फिलासफी पर अंग्रेजी में भाषण दिया। (7-5-33) 1934 - अमरावती चातुर्मास, पू० तारण स्वामी रचित उपदेश शुद्धसार की टीका एवं “सहज-सुख साधन" पुस्तकें लिखीं / 1933 -