________________ विशाला जननी यस्य विशालं कुलमेव च। विशालं वचनं चास्य तेन वैशालिको जिनः।। - (सूत्रकृतांग-शीलाङ्काचार्य टीका, 2/3) अर्थात् जिनकी माता विशाला है (त्रिशला) है, जिनका कुल विशाल है, जिनके वचन विशाल हैं, इससे 'वैशालिक' नामक जिन (महावीर) हुए। उन्होंने विवाह नहीं किया था। उनका कुमार काल 30 वर्ष था। 3. तप कल्याणक : तिलोयपण्णत्ति (4/674) के अनुसार मग्गसिर-बहुल-दसमी-अवरण्हे उत्तरासु णाथ-वणे। तदिय - खमणम्मि गहिदं, महव्वदं वहमाणेण।। अर्थात् वर्धमान भगवान् ने मगसिर (मार्गशीर्ष) कृष्णा दशमी के अपराह्न में उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के रहते नाथवन में तृतीय उपवास के साथ महाव्रत ग्रहण किये। ईस्वी सन् के अनुसार यह तिथि दि. 29 नवम्बर ई. पूर्व 569 सिद्ध होती है। उनका छद्यस्थ काल बारह वर्ष प्रमाण रहा (तिलोयपण्णत्ति, 4/685) / 4. केवलज्ञान कल्याणक : तीर्थकर महावीर को वैशाख शुक्ल दशमी अपराह्न में हस्त नक्षत्र के रहते (जृम्भक गाँव के) ऋजुकूला नदी के तट पर केवल ज्ञान की उत्पत्ति हुई। केवल ज्ञान-प्राप्ति स्थल जृम्भिक गाँव की पहचान वर्तमान बिहार के मुंगेर से दक्षिण की ओर जमुई गाँव के रूप में की गयी है। यहाँ बहने वाली क्विल नदी को ऋजुकूला नदी का अपभ्रंश नाम माना गया है (तीर्थङ्कर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा, पृ. 1/179) ___ भगवान् महावीर के प्रथम गणधर गौतम बने। 'तिलोयपण्णत्ति' के अनुसार तीर्थङ्कर भगवान् महावीर की श्रावणमास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा के दिन प्रथम देशना प्रसवित् हुई। जिस विपुलाचल पर्वत पर केवल ज्ञानी भगवान् महावीर की प्रथम दिव्य देशना हुई वह राजगृह के निकट नैऋत्य दिशा में स्थित है। वर्तमान में यह स्थान बिहार राज्य की राजधानी पटना से 102 किलोमीटर दक्षिणपूर्व में नालन्दा जिले में स्थित है। 5. निर्वाण कल्याणक : तीर्थङ्कर भगवान् महावीर का निर्वाण कल्याणक कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन ‘पावा' से होना माना जाता है। वर्तमान में बिहार प्रान्त की राजधानी पटना जिलान्तर्गत पावापुरी स्थित है। इस तरह तीर्थङ्कर महावीर के पाँचों कल्याणकों के विषय में संक्षिप्त वर्णन यहाँ किया गया। भगवान् महावीर का लोकव्यापी प्रभाव एवं महत्त्व जो आज भी है। उनके पञ्चकल्याणकों की पुण्य भूमियाँ आज भी उनके दर्शन-वन्दन-पूजन करने वालों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ है।