________________ 'वसुदेवहिण्डी' के अनुसार, ऋषभदेव ने भारतीय संस्कृति एवं समाज के विकास के लिए अनेक उपक्रम किये। उन्होंने समाज में सुख-शान्ति की स्थापना के लिए राजा की प्रजासेवा-विधि का निर्देश किया और कुलकरों द्वारा निर्धारित दण्डनीति की मर्यादा का उल्लंघन देख उसकी (दण्डनीति की) की उग्रता को मूल्य दिया और शिक्षा के क्षेत्र में गणित (अंक) विद्या एवं लिपिशास्त्र का विकास किया। ऋषभदेव इक्ष्वाकु-वंश के संस्थापक भी बने, जिसकी सामाजिक प्रतिष्ठा और सांस्कृतिक गरिमा दूसरे वंशों के लिए आदर्श थी। ऋषभदेव के दो पुत्र अधिक यशोधन हुए - भरत और बाहुबली। भरत के नाम पर ही हमारा देश 'भारतवर्ष' शब्द से संज्ञित हुआ। ऋषभदेव के अहिंसा-सिद्धान्त या अहिंसा-संस्कृति का व्यापक प्रभाव पूरे भारतवर्ष पर पड़ा, जिससे नरसंहारकारी अस्त्रयुद्ध या अधमयुद्ध स्थगित हो गया। भारतीय संस्कृति के व्यापक विकास में ऋषभदेव का यह अवदान अभूतपूर्व है। उनकी इस अहिंसा-संस्कृति का ततोऽधिक लोक-प्रभावकारी विकास उनके कनिष्ठ पुत्र और चक्रवर्ती भरत के तपोनिष्ठ अनुज बाहुबली ने किया। -- 21