________________ 8. जैन पुस्तकालयों में सूचना तकनीकी का उपयोग करके उनकी नेटवर्किंग पर विचार किया जाये। 9. जैन पुस्तकालयों के लिए एक आधुनिक डिजिटल लैब की आवश्यकता है जो कि ग्रन्थों के संरक्षण के लिए प्रभावी भूमिका अदा कर सके इसके लिए निम्नलिखित उपकरणों की आवश्यकता होगी। * डिजिटल कैमरा/स्कैनर, * कम्प्यूटर, * प्रिण्टर, * आवश्यक साफ्टवेयर, * सी.डी./डी.वी.डी. 10. जैन-साहित्य के फुलटेक्स्ट डाटाबेस का निर्माण किया जाये ताकि उसे विश्व के किसी भी कोने से प्राप्त किया जा सके। 11. अधिकांश जैन-साहित्य अभी तक आम जनता की पहुँच से परे है उसे सरल भाषा में सर्वसुलभ कराया __ जाये। 12. जैन पुस्तकालय अनुवाद के माध्यम से जैन-ग्रन्थों को अन्य भाषाओं में भी अनुवादित करें ताकि अन्य देश के नागरिक भी जैन-साहित्य से अवगत हो सके। 13. बच्चों में जैन-साहित्य को लोकप्रिय बनाने के लिए एनीमेशन फिल्में व कामिक्स प्रभावी भूमिका निभा सकती है। 14. आज जैन पाठशालाओं का ह्रास हो रहा है अत: जैन पाठशालाओं में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाये। जैन-साहित्य सम्पूर्ण राष्ट्र में अनेक संस्थाओं में फैला हुआ है इसलिए जैन पुस्तकालय के विकास के लिए यह आवश्यक है कि सम्पूर्ण जैन-साहित्य की एक संघ सूची और सार्वभौमिक ग्रन्थ-सूची नियन्त्रण के तहत सम्पूर्ण जैन-साहित्य का सूचीकरण किया जाय, इस प्रक्रिया से विश्व को सम्पूर्ण जैन-साहित्य और उसके प्राप्तिस्थल की जानकारी सलभ हो जायेगी। परे देश में कम से कम एक स्थान ऐसा होना चाहिए जिसमें विश्व में प्रकाशित सम्पूर्ण जैन-साहित्य सुलभ हो जाय। इसके लिए एक जैन-साहित्य संग्रहण के प्रोजेक्ट को मूर्तरूप देना होगा। आज जब वैश्वीकरण एवं भूमण्डलीकरण की भावना से विश्व एक गांव के रूप में बदल रहा है, यह आवश्यक है कि हम जैन पुस्तकालयों को सार्वभौम ज्ञान के नानाविध विषय-ग्रन्थों से परिपूर्ण करें। जैन पुस्तकालयों की यह भूमिका भी अपनी परिधि से बाहर निकालकर व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करने में मदद करेगी। -202