________________ जैन पुस्तकालयों के वर्तमान स्वरूप में पाठक को सूचनाओं के संग्रह में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि जैन पुस्तकालय न तो व्यवस्थित है और न ही अन्तर्राष्ट्रीय मानकों का पालन कर रहे है। इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए प्रौद्योगिकी का सहारा लिया जाना चाहिए, जो कि आज उपलब्ध है। इसलिए वर्तमान की आवश्यकता है तथा युग की मांग है कि जैन-साहित्य में निहित समस्त सिद्धान्तों का व्यापक शोधपूर्ण अध्ययन-अध्यापन, प्रचार-प्रसार हो। एतदर्थ जैन पुस्तकालयों के विकास की नितान्त आवश्यकता है, क्योंकि मनुष्य को प्राप्त होने वाली सूचनाओं का सबसे बड़ा माध्यम पुस्तकें तथा पुस्तकालय है। अभी तक जिस संगठित व शक्तिशाली स्वरूप को धारण कर जैनधर्म राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहा है वह सर्वगुणग्राही है; किन्तु जैनधर्म आधारित पुस्तकालयों की स्थिति, उनकी भूमिका, उनके कार्य तथा उनकी सेवाओं को देखकर ऐसे लगता है कि पुस्तकालयों के रख-रखाव, प्रबन्धन, व्यवस्थापन, उनके भवन, अध्ययन कक्ष तथा अन्य ज्ञान-विज्ञान विषयक सुविधाओं का अभाव पुस्तकालय की अवधारणा के अनुकूल नहीं बैठते है फिर भी प्राचीन हस्तलिखित संग्रहालयों एवं शोध प्रतिष्ठानों की महत्ता निःसन्देह निर्विवाद है। जैन पुस्तकालयों के विकास हेतु उपाय एवं दिशा-निर्देश वर्तमान की स्थितियों को देखते हुए जैन पुस्तकालय के विकास के क्या उपाय हो तथा उसके लिए कौन से दिशा-निर्देश तय किये जाये इस पर विचार करना चाहिए। वर्तमान समय में सूचना प्रौद्योगिकी के महत्त्व को देखते हुए जैन पुस्तकालयों के विकास के लिए निम्नलिखित उपायों एवं दिशा-निर्देशों को अपनाना होगा ताकि उनका समुचित विकास हो सके तथा जिनवाणी को आगामी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जा सके। 1. जैन पुस्तकालय अद्यतन सामग्री भी क्रय करें जिससे पुस्तकालय विकसित हो सके। 2. जैन पुस्तकालय में योग्य पुस्तकालय विज्ञान की उपाधि धारक तथा सूचना तकनीकी की जानकारीयुक्त विशेषज्ञ उचित मानदेय पर नियुक्त किया जाये। 3. जैन-साहित्य का सूचीकरण अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार किया जाये ताकि भविष्य में उसे इण्टरनेट पर उपलब्ध कराया जा सके। 4. विश्व के अन्य पुस्तकालयों के साथ भी जैन पुस्तकालयों का सूचना आदान-प्रदान का सम्बन्ध होना चाहिए। 5. जैन पुस्तकों के प्रकाशन में भी अन्तर्राष्ट्रीय पुस्तक क्रमांक आदि का प्रयोग किया जाये ताकि उसे विश्व पटल पर लाया जा सके। 6. जैन पुस्तकालय जैन पत्रिकाओं व अन्य सामयिक पत्रिकाओं में प्रकाशित जैनधर्म से सम्बन्धित लेखों की एक समसामयिक सूची प्रकाशित करे। जैन पुस्तकालय संघ कीस्थापना की जाये जिसके सदस्य जैन विद्वान्, जैन पुस्तकालयाध्यक्ष, जैन प्रकाशक व जिनवाणी को समर्पित व्यक्ति हो। - 2.1