________________ ध्यानशतकम् आरोढुं मुणि-वणिया महग्घसीलंग-रयणपडिपुन्नं / जह तं निव्वाणपुरं सिग्घमविग्घेण पावंति // 6 // तत्थ य तिरयणविणिओगमइयमेगंतियं निरावाहं / साभावियं निरुवमं जह सोक्खं अक्खयमुवेति // 61 // किं बहणा सव्वं चिय जीवाइपयत्थवित्थरोवेयं / / सव्वनयसमहमयं झाइज्जा समयसब्भावं // 62 / / सव्वप्पमायरहिया मुणओ खीणोवसंतमोहा य / झायारो नाण-घणा धम्मज्झाणस्स निद्दिट्ठा // 63 // एएच्चिय पुव्वाणं पुव्वधरा सुप्पसत्थसंघयणा / दोण्ह सजोगाजोगा सुक्काण पराण केवलिणो // 64 // झाणोवरमेऽवि मुणी णिच्चमणिच्चाइभावणापरमो। होइ सुभावियचित्तो धम्मज्झाणेण जो पुचि // 65 // होंति कमविसुद्धाओ लेसाओ पीय-पम्म-सुक्काओ। धम्मज्झाणोवगयस्स तिव्व-मंदाइभेयाओ // 66 // आगम-उवएसाऽऽणा-णिसग्गओ जं जिणप्पणीयाणं। भावाणं सद्दहणं धम्मज्झाणस्स तं लिंगं // 67 // जिणसाहुगुणकित्तण-पसंसणा - विणय-दाणसंपण्णो। सुअ-सील-संजमरओ धम्मज्झाणी मुणेयव्वो // 6 // अह खंति-मद्दवऽज्जव-मुत्तीओ जिणमयप्पहाणाओ। आलंबणाई जेहिं सुक्कज्झाणं समारुहइ // 66 // तिहुयणविसयं कमसो संखिविउ मणो अणुंमि छउमत्थो / झायइ सुनिप्पकंपो झाणं अमणो जिणो होइ // 70 // जह सव्वसरीरगयं मंतेण विसं निरुभए डंके। तत्तो पुणोऽवणिज्जइ पहाणयरमंतजोगेणं // 71 // तह तिहुयण-तणुविसयं मणोविसं जोगमंतबलजुत्तो। परमाणुंमि निरु भइ अवणेइ तओवि जिण-वेज्जो // 72 // उस्सारियेंधणभरो जह परिहाइ कमसो हुयासुव्व / थोविंधणावसेसो निव्वाइ तओऽवणीओ य // 73 // तह विसइंधणहीणो मणोहुयासो कमेण तणुयंमि / विसइंधणे निरंभइ निव्वाइ तओऽवणीओ य // 74 //