________________ ध्यानशतकम् पुवकयब्भासो भावणाहि माणस्स जोग्गयमवेइ। ताओ य नाण-दसण-चरित्त-वेरग्गनियताओ // 30 // णाणे णिच्चन्भासो कुणइ मणोधारणं विसुद्धिं च / नाणगणमणियसारो तो झाइ सुनिच्चलमईओ // 31 // संकाइदोसरहिओ पसम-थेज्जाइगणगणोवेओ। होइ असंमूढमणो सणसुद्धीए झाणंमि // 32 // नवकम्माणायाणं पोराणविणिज्जरं सुभायाणं / चारित्तभावणाए झाणमयत्तेण य समेइ // 33 // सुविदियजगस्सभावो निस्संगो निब्भो निरासो य / वेरग्गभावियमणो झाणंमि सुनिच्चलो होइ // 34 // निच्चं चिय जुवइ-पसू-नपुंसग-कुसीलवज्जियं जइणो। ठाणं वियणं भणियं विसेसओ झाणकालंमि // 35 // थिर-कयजोगाणं पुण मणीण झाणे सुनिच्चलमणाणं / गामंमि जणाइण्णे सुण्णे रणे व ण विसेसो // 36 // जो जत्थ समाहाणं होज्ज मणोवयण-कायजोगाणं / भूओवरोहरहिओ सो देसो झायमाणस्स // 37 // कालोऽवि सोच्चिय जहिं जोगसमाहाणमुत्तमं लहइ / न उ दिवस-निसा-वेलाइनियमणं झाइणो भणियं // 38 // जच्चिय देहावत्था जिया ण झाणोवरोहिणी होइ। झाइज्जा तदवत्थो ठिओ निसण्णो निवण्णो वा // 36 // सव्वासु वट्टमाणा मुणओ जं देस-काल-चेट्ठासु / वरकेवलाइलाभं पत्ता बहुसो समियपावा // 40 // तो देस-काल-चेट्टानियमो झाणस्स नत्थि समयंमि / जोगाण समाहाणं जह होइ तहा यइयव्वं // 41 // आलंबणाई वायण - पुच्छण - परियट्टणाऽणुचिंताओ। सामाइयाइयाइं सद्धम्मावस्सयाइं च // 42 // विसमंमि समारोहइ दढदव्वालंबणो जहा पुरिसो। सुत्ताइकयालंबो तह झाणवरं समारुहइ // 43 // झाणप्पडिवत्तिकमो होइ मणोजोगनिग्गहाईओ। भवकाले केवलिणो सेसाण जहासमाहीए // 44 //