________________ चित्त-समाधि / जैन योग कावोय-नील-काला लेस्साओ णाइसंकिलिट्ठाओ। अट्टज्झाणोवगयस्स कम्मपरिणामजणिआओ // 14 // तस्सऽक्कंदण-सोयण-परिदेवण-ताडणाइं लिंगाइं / इट्ठाऽणि?विओगाऽविओग-वियणानिमित्ताइं // 15 // निंदइ य नियकयाइं पसंसइ सविम्हओ विभूईओ।। पत्थेइ तासु रज्जइ तयज्जणपरायणो होइ // 16 // सद्दाइविसयगिद्धो सद्धम्मपरम्मुहो पमायपरो। जिणमयमणवेक्खंतो वट्टइ अट्टमि झाणंमि // 17 // तदविरय-देसविरय-पमायपरसंजयाणुगं झाणं / सव्वप्पमायमूलं वज्जेयव्वं जइजणेणं // 18 // सत्तवह - वेह - बंधण-डहणंऽकण - मारणाइपणिहाणं। अइकोहग्गहघत्थं निग्घिणमणसोऽहमविवागं // 16 // पिसुणासब्भासब्भूय-भूयघायाइवयणपणिहाणं मायाविणोऽइसंधणपरस्स पच्छन्नपावस्स // 20 // तह तिव्वकोह-लोहाउलस्स भूओवघायणमणज्जं। परदव्वहरणचित्तं परलोयावायनिरवेक्खं // 21 // सद्दाइविसयसाहणधणसारक्खणपरायणमणिठें / सव्वाभिसंकणपरोवघायकलुसाउलं चित्तं // 22 // इय करण-कारणाणमइविसयमणचितणं चउब्भेयं / अविरय-देसासंजय-जणमणसंसेवियमहण्णं // 23 // एयं चउन्विहं राग-दोस-मोहाउलस्स जीवस्स। रोद्दज्झाणं संसारवद्धणं नरयगइमूलं // 24 // कावोय-नील-काला लेसाओ तिव्वसंकलिट्ठाओ। रोद्दज्झाणोवगयस्स कम्मपरिणामजणियाओ // 25 // लिंगाइं तस्स उस्सण्ण-बहुल-नाणाविहाऽऽमरणदोसा। तेसिं चिय हिंसाइसु बाहिरकरणोवउत्तस्स // 26 // परवसणं अहिनंदइ निरवेक्खो निद्दओ निरणुतावो। हरिसिज्जइ कयपावो रोद्दज्झाणोवगयचित्तो // 27 // झाणस्स भावणाओ देसं कालं तहाऽऽसणविसेसं / आलंबणं कमं झाइयव्वयं जे य झायारो // 28 // तत्तोऽणुप्पेहाओ लेस्सा लिंगं फलं च नाऊणं / धम्मं झाइज्ज मुणी तग्गयजोगो तओ सुक्कं // 26 //