________________ श्रीमद्धरिभद्रसूरि-विरचिता-वश्यकनियुक्ति-टोकान्तर्गत ध्यानशतकम् वीरं सुक्कज्झाणग्गिदड्ढकम्मिधणं पणमिऊणं / जोईसरं सरण्णं झाणज्झयणं पवक्खामि // 1 // जं थिरमज्झवसाणं तं झाणं जं चलं तयं चित्तं / तं होज्ज भावणा वा अणुपेहा वा अहव चिंता // 2 // अंतोमहुत्तमेत्तं चित्तावत्थाणमेगवत्थुमि / छउमत्थाणं झाणं जोगनिरोहो जिणाणं तु // 3 // अंतोमहत्तपरओ चिंता झाणंतरं व होज्जाहि / सुचिरंपि होज्ज बहुवत्थसंकमे झाणसंताणो // 4 // अट्टं रुदं धम्म सुक्कं झाणाई तत्थ अंताई। निव्वाणसाहणाइं भवकारणमट्ट-रुद्दाइं // 5 // अमणण्णाणं सद्दाइविसयवत्थूण दोसमइलस्स / धणियं विओगचिंतणमसंपओगाणुसरणं च // 6 // तह सूल-सीसरोगाइवेयणाए विजोगपणिहाणं। तदसंपओगचिंता तप्पडियाराउलमणस्स // 7 // इटाणं विसयाईण वेयणाए य रागरत्तस्स / अवियोगऽज्झवसाणं तह संजोगाभिलासो य // 8 // देविंद-चक्कवट्टित्तणाइं गुण-रिद्धिपत्थणमईयं / अहमं नियाणचिंतणमण्णाणाणुगयमच्चंतं // 6 // एयं चउव्विहं राग-दोस-मोहंकियस्स जीवस्स / अट्टज्झाणं संसारवद्धणं तिरियगइमूलं // 10 // मज्झत्थस्स उ मुणिणो सकम्मपरिणामजणियमेयंति / वत्थुस्सभावचिंतणपरस्स सम्मं सहतस्स // 11 // कुणओ व पसत्थालंबणस्स पडियारमप्पसावज्जं / तव-संजमपडियारं च सेवओ धम्ममणियाणं // 12 // रागो दोसो मोहो य जेण संसारहेयवो भणिया / अद्भृमि य ते तिण्णिवि तो तं संसार-तरुवीयं // 13 //