________________ 'नित्य नियम पूजा [89 फल शोभा अधिकार, लोंग छुहारे जायफल / जनम रोग निरवार, सम्यकरत्नत्रय भजों // 8 // ह्रीं सम्यग्रत्नत्रयाय मोक्षफलप्राप्तये फलं नि० स्वाहा / आठ दरव निरधार उत्तमसों उत्तम लिये। जनम रोग निरवार, सम्यकरत्नत्रय भजों // 9 // ॐ ह्रीं सम्यग्रत्नत्रयाय अनध्य पद प्राप्तये अध्यं नि० स्वाहा / सम्यकदर्शनज्ञान, व्रत शिवमग तीनों मयी। पार उतारन यान, 'द्यानत' पूजों व्रत सहित // 10 // ॐ ह्रीं सम्यगरत्नत्रयाय पूर्णायं निर्वपामीति स्वाहा / समुच्चय जयमाला दोहा-सम्यकदर्शन ज्ञान व्रत इन विन मुकति न होय / अन्ध पंगु अरु आलसी जुदे जलै दवलोय // 1 // चौपाई जानै ध्यान सुधिर बन आने, ताके करमबन्ध कट जाने। तासौं शिवतिय प्रीति बढ़ानै, जो सम्यक रत्नत्रय ध्यान।२ ताकौं चहुँगतिके दुःख नाहीं, सो न पर भवसागर मांहीं / जनम जग मृत दोष मिटानै जो सम्यक रत्नत्रय ध्यानै 3 सोई दशलच्छनका साधे, सो सोलह कारण आराधै / सो परमातम पद उपजानै, जो सम्यक रत्नत्रय ध्यानै // 4 सोई शक्र-चकि-पद लेई, तीन लोकके सुख बिलसेई / सो रागादिक भाव बहावै, जो सम्यक् रत्नत्रय ध्यावै / 5 / सोई लोकालोक निहारै, परमानन्द दशा विस्तारै / आप तिरै औरन तिरवाने, जो सम्यक रत्नत्रय ध्या व // 6 //