________________ 8] नित्य नियम पूजा ॐ ह्रीं सम्यग्रत्नत्रय ! अत्र अवतर अवतर, संवौषट् / ह्रीं सम्यग्रत्नत्रय ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः / ॐ ह्रीं सम्यगरत्नत्रय ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् / सोरठा-क्षीरोदधि उनहार, उज्ज्वल जल अति सोहनो। जनम रोग निरवार, सम्यकरत्नत्रय भजों // 1 // ॐ ह्रीं सम्यग्रत्नत्रयाय जन्मरोगविनाशनाय जलं निर्व० स्वाहा चंदन केशर गारि, परिमल महा सुरंगमय / जनम रोग निरवार, सम्यकरत्नत्रय भजों // 2 // ॐ ह्रीं सम्यग्रत्नत्रयाय भवतापविनाशनाय चन्दनं नि० स्वाहा / तंदुल अमल चितार, वासमति सुखदास के / जनम रोग निरवार, सम्यकरत्नत्रय भजों / / 3 / / ॐ ह्रीं सम्यग्रत्नत्रयाय अक्षयपद-प्राप्तये अक्षतान् नि० स्वाहा / महक फूल अपार, अलि गुजै ज्यों थुति करे / जनम रोग निरवार, सम्यकरत्नत्रय भजों / 4 / ॐ ह्रीं सम्यग्रत्नत्रयाय कामबाणविध्वंशनाय पुष्पं नि० स्वाहा। लाडू बहू विस्तार, चीकन मिष्ट सुगन्धयुत / जनम रोग निरवार सम्यकत्नत्रय भजों / / 5 / / ॐ ह्रीं सम्यग्रत्नत्रयाय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं नि० स्वाहा। दीप रतनमय सार, जोत प्रकाशै जगतमें / जनम रोग निरवार, सम्यक्रत्नत्रय भजों // 6 // ॐ ह्रीं सम्यग्रत्नत्रयाय मोहान्धकारविनाशनाय दीपं नि / धूप सुवास विथार, चंदन अगर कपूरकी। ___ जनम रोग निरवार, सम्यकत्नत्रय भजों // 7 // ॐ ह्रीं सम्यग्रत्नत्रयाय अष्टकर्मदहनाय धूपं नि० स्वाहा /