________________ 2] नित्य नियम पूजा चंदन केशर गार, होय सुवास दशदिशा। भव आताप निवार, दशलक्षण पूजौं सदा / / 2 / / ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादि-दश-लक्षणधर्माय चन्दनं नि० // 2 // अमल अखंडित सार, तंदुल चंद्र समान शुभ / भव आताप निवार, दशलक्षग पूजौ सदा // 3 // ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादि-दश-लक्षणधर्माय अक्षतान् नि० // 3 // फूल अनेक प्रकार, महके ऊरधलोक लों। भव आताप निवार, दशलक्षण पूजौं सदा / / 4 // ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादि-दश-लक्षणधर्माय पुष्पं नि० // 4 // नेवज विविध निहार, उत्तम षटरस संजुगत / भव आताप निवार, दशलक्षण पूजौं सदा / / / ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादि-दश-लक्षणधर्माय नैवेद्य नि० // 5 // वाति कपूर सुधार, दिपक जोति सुहावनी / भव आताप निवार, दशलक्षण पूजौं सदा // 6 // ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादि-दण-लक्षणधर्माय दीपं नि० // 6 // अगर धूप विस्तार, फैले सर्व सुगन्धता। भव आताप निवार, दशलक्षण पूजौं सदा / 7 / / ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादि दश-लक्षणधर्माय धूप नि० // 7 // फल की जाती अपार, घ्राण नयन मनमोहने भव आताप निवार, दशलक्षण पूजौं सदा / / 8 / / ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादि-दश-लक्षणधर्माय फलं नि // 8 // आठों दरब संवार, ‘यानत' अधिक उछाहसों। भव आताप निवार, दशलक्षण पूजौं सदा / 9 / / ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादि-दश-लक्षणधीय अयं नि० // 9 //