________________ [81... नित्य नियम पूजा विब अठ एकसो रतनमय सोहही . देव देवी सरव नयनः मन मोहही। पांचस धनुष तन पद्मआसन परं भौनं. 7 लाल नख मुखनयन श्याम अरु श्वेत हैं / श्याम रंग भौह शिर केश छवि देत हैं। वचन बोलत मनो हंसत कालुष हरं / भौन० 8 / कोटि शशि भानु दुति तेज छिप जात लखि होत सम्यक धरं / भौन०।९।। सोरठा-नन्दीश्वर जिनधाम, प्रतिमा महिमा को कहै। 'द्यानत' लीनो नाम यहि भगति शिव सुख करै / / ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वोपे जिनालय स्थ-जिन-प्रतिमाभ्य पूर्णाध्यं निक दशलक्षण धर्म पूजा उत्तम छिमा मार्दव आर्जव भाव हैं / सत्य शौच संयम तप त्याग उपाव हैं। आकिंचन ब्रह्मचर्य धरम दस सार है। चहूँ गति दुखतै काढि मुकति करतार है॥१॥ ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादि-दश लक्षणधर्म ! अत्र अवतरावतर संवौषट ही उत्तमक्षमादि-दश-लक्षणधर्म ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादि-दश-लक्षणधर्म ! अत्र मम सन्निहितो भवरव षट सोरठा-हेमाचल की धार, मुनिचित सम शीतल सुरभि / भव आताप निवार, दशलक्षण पूजों सदा // 1 // ॐ ह्रीं उत्तमक्षमा मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच संयम,तप, त्याग, आकिंचन्य, ब्रह्मचर्यादि-दश-लक्षणधर्माय जलं निर्वपामीति // 1 //