________________ नित्य नियम पूजा [79 * नन्दीश्वर श्री जिनधाम, बावन पूज करों। वसु दिन प्रतिमा, अभिराम, आनन्दभाव धरो / 1 / ॐ ह्रीं मासोत्तमे....मासे शुभे शुक्लपक्षे अष्टाह्निकामां महामहोत्सवे नन्दीश्वरद्वीपे पूर्व दक्षिण-पश्चिमोत्तरे एक अंजनगिरी चार दधिमुख आठ रतिकर. प्रतिदिशि तेरह 2 इति बावन जिन चैत्यालयेभ्यः जन्मजरामृत्यु विनाशनाय जलम् निर्वपामीति स्वाहा // 1 // भवतपहर शीतल वास, सो चन्दन नाहीं।। प्रभु यह गुण कोजै सांच, आयो तुम ठांहीं नन्दी०:२।। ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपे जिनालयस्थ जिन-प्रतिमाभ्यः चंदन निर्व। उत्तम अक्षत जिनराज पुज धरे सो है / सब जीते अक्षसमाज, तुम सम अरू को है ।।नन्दी. 3 // ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपे जिनालय स्थ-जिन-प्रतिमाभ्यः अक्षतान् निर्वक तुम काम विनाशक देव, ध्याऊं फूलनसौं। लहि शील लच्छमी एव, छूटों शूलनसौं / नन्दी० // 4 // ॐ ह्री नंदीश्वरद्वोपे जिनालयस्थ-जिन-प्रतिमाभ्यः पुष्पं नि / नेवज इन्द्रयवलकार सो तुमने चूरा / चरू तुम ढिग सोहै सार, अचरज है पुरा / नन्दी० // 5 // ॐ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपे जिनालयस्थ-जिनप्रतिमाभ्यः नैवेद्य नि / दीपक की ज्योति प्रकाश तुम तन मांहिं लसै। टूटे करम की राश, ज्ञानकणी दरसे / / नन्दी० // 6 // ॐ ह्रीं नन्दीश्वरद्वीपे जिनालयस्थ-जिन-प्रतिमाभ्यः दीपं नि०। * नन्दीश्वरद्वीपे महान चारों दिशि सों हैं। बावन जिनमंदिर जान सुर नर मन मोहें /