________________ 60] नित्य नियम पूजा // अथ जयमाला // दोहा-ध्यान दहन विधि दारु दहि पायो पद निरवान / पंचभावजुत थिर भये, नमों सिद्ध भगवान // त्रोटक छन्द सुख सम्यग्दर्शन ज्ञान लहा, अगुरु-लघु सूक्ष्म वीर्य महा। अवगाह अबाध अघायक हो, सब सिद्ध नमो सुखदायक हो / असुरेन्द्र सुरेन्द्र नरेन्द्र जजै, भुवनेन्द्र खगेन्द्र गणेन्द्र भजे / जर जामन मरण मिटायक हो सब० // 3 // अमलं अवलं अकलं अकुल, अछलं असलं अरलं अतुल / अरलं सरलं शिवनायक हो सब० // 4 // अजरं अमरं अधरं सुधरं, अडरं अहर अमरं अधर / अपरं असरं सब लायक हो सब० / / 5 / / वृषवृन्द अमन्द न निन्द लहैं, निरदन्द,, अफन्द सुछन्द रहे / नित आनन्दवृन्द बधायक हो, सब० / 6 / / भगवन्त सुसन्त अनन्तगुणी, जयवन्त महन्त नमन्त मुनी। जगजन्तु-तणे अपघायक हो, सब ||7|| अकलंक अटंक शुभंकर हो, निरडंक निशंक शिवकर हो / अभयंकर शंकर क्षायक हो, सब० // 8 // अतरंग अरंग असंग सदा, भवभंग अभंग उतंग सदा / सरवंग अनंग नसायक हो, सब० // 9 // ब्रमण्डजूमंडलमंडन हो, तिहुँ दंडप्रवंड विहण्डन हो / चिद पिंड अखण्ड अकायक हो, सब० // 10 //