________________ नित्य नियम पूजा [ 57 ध्यान अग्निकर कर्म कलंक सबै दहे, नित्य निरंजन देव सरूपी हूं रहें। ज्ञायकके आकार ममत्व निवारिक, ___ सो परमातम सिद्ध नम् सिर नायकै // 2 // दोहा-अविचल ज्ञान-प्रकाशतै, गुण अनन्तकी खान / ध्यान धरै सो पाइये, परम सिद्ध भगवान // अविनाशी आनंदमय, गुण पूरण भगवान / शक्ति हिये परमात्मा, सकल पदारथ ज्ञान / / 3 / / ( इत्याशीर्वादः / पुष्पांजलिं क्षिपेत् / सिद्ध पूजाका भावाष्टक निज-मनो-मणि-भाजन-भारया,सम-रसैक, सुधा रस-धारया। सकल-बोध-कला-रमणीयक, सहज-सिद्धमहं परिपूजये जलं। सहज-कर्म कलंक-विनाशनेरमल भाव-सुवासित-चन्दनः / अनुपमान-गुणावलि-नायक, सहज-सिद्धमहं परिपूजये।चंदनं सहज-भाव-सुनिर्मल तंदुलैः, सकल दोष विशाल-विशोधनैः / अनपरोध सुबोध-निधानकं, सहज-सिद्धमहं परिपूजये ।अक्षतं समयसार-पुष्प सुमालया, सहजकमकरेण विशोधया / परम-योग-वलेन-वशीकृतं, सहज-सिद्धमहं परिपूजये / / पुष्पं अकृत-बोध-सुदिव्य-नैवेद्यकैर्विहित-जाति-जरा-मरणांतकः / निरवधि-प्रचुरात्म गुणालयं, सहज-सिद्धमहं परिपूजये ।नैवेद्य सहज रत्न-रूचि प्रतिदीपकः,रूचिविभूति-तमः प्रविनाशनः / निरवधि-स्वविकास-प्रकाशन ,सहज-शिद्धमहं परिपूजये ।दीपं