________________ 56 ] नित्य नियम पूजा विकार-विवर्जित-तर्जित-शोक, विबोध-सुनेत्र-विलोकित-लोक विहोर विराव विरंग विमोह, प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध समूह 5 रजोमलखेदविमुक्त विगात्र, निरन्तर नित्य सुखामृतपात्र / सुदर्शनराजित नाथ विमोह, प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध समूह / 6 नरभर वन्दित निर्मल-भाव अनंत-मुनीश्वर-पृज्य विहाव / सदोदय विश्व महेश विमोह, प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध समूह / विदम्भ वितृष्ण विदोष विनिद्र, परापर शंकर सार वितिन्द्र विकोप विरूप विशंक विमोह, प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध समूह / 8 जरामरणोज्झित वीतविहार, विचिंतित निर्मल निरहंकार। अचिंत्य-चरित्र विदर्प विमोह, प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध समूह 9 विवर्ण विगंध विमान विलोभ, विमाय विकाय विशब्द विशोभ अनाकुल केवल सर्व विमोह, प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध समूह / 10 (घत्ता)-असमय-समयसारं चारुचैतन्यचिह्न पर-परणति-मुक्तं पद्मनन्दीन्द्र-वंद्य / निखिल-गुण-निकेतं सिद्धचक्र विशुद्ध स्मरति नमति यो वा स्तौति सोऽभ्येति मुक्तिम् / / 11 // ॐ ह्रीं सिद्धचक्राधिपतये सिद्धपरमेष्ठिने महाघ / अथाशीर्वादः / अडिल्ल छन्द / अविनाशी अविकारं परम रस-धाम हों। समाधान सर्वज्ञ सहज अभिराम हो / शुद्ध बुद्ध अविरुद्ध अनादि अनन्त हो, जगत शिरोमणि सिद्ध सदा जयवन्त हो / 1 //