________________ 52 / नित्य नियम पूजा जाणि जिनचैइयाणि ताणि सव्वाणि तीसु वि लोयेसु भवणवासिय-बाण-विन्तर-जोइसिय-कप्पवासियत्ति चउविहा देवाः सपरिवारा दिव्बेण गंधेण, दिव्येण, फुफ्फेग दिव्वेण-धूवेण दिव्वेण चुण्णण, दिब्वेण, वासेण, दिव्वेण ह्नाणेण णिच्चकालं अच्चन्ति पुज्जन्ति वंदन्ति णमस्संति / अहमवि इह संतो तत्थ संताइ णिच्चकालं अच्चेमि पुज्जेमि वन्दामि णमस्सामि! दुक्खक्खओ कम्मक्खओ बोहिलाहो सुगइगमणं समाधिमरणं जिनगुगसंपत्ती होउ मज्झं // ( इत्याशीर्वादः / पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अथ पौर्वाहिक* देववन्दनायां पूर्वाचार्यानक्रमेण सकल. कर्म क्षयार्थ भाव पूजा नंदना स्तव समेतं श्री सिद्धभक्तिकार्योत्सर्ग करोम्हम् / ताव कायं पावकम्मं दुच्चरियं बोस्सरामि / णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं / णमो उबज्झायाणं, गमो लोए सव्वसाहूणं // (यहांपर नौ बार णमोकार मंत्रका जाप्य करना चाहिये / अथ सिद्ध पूजा द्रव्याष्टक ऊर्ध्वाघोरयुतं सबिन्दु सपरं ब्रह्मस्वरावेष्टितं। वर्गापूरितदिग्गताम्बुज-दलं तत्सन्धि-तत्त्वान्वितं / / * नोट-अगर दोपहरको पूजन करें तो पौवाहिकके स्थान पर मध्यालिक और सायंकाल करें तो अपरालिक बोलना चाहिये।