________________ 190 ) नित्य नियम पूजा उद्भूत भीषण जलोदर भार भुग्नाः शोच्यां दशामुपगत्ताश्व्युत जीविताशाः / त्वत्पाद पंकज रजोऽमृत-दिग्ध-देहा, मां भवंति मकरध्वजः तुल्यरुपाः // 45 // आपाद कंठमुरु-शखल वेष्टितांगा, गाढं वृहनिगड कोटि निघृष्ट जंघाः / त्वन्नाम मंत्रमनिशं मनुजाः स्मरंतः सद्यः स्वयं विगत बंध भया भवन्ति // 46 // मत्तद्विपेन्द्र मृगराज दवानलाहिसंग्राम वारिधि-महोदर बंधनोत्थं / तस्याशु नाशमुपयाति भयं भयेव, यस्तावकं स्तवमिमं मतिमानधीते / 47 // स्तोत्र स्त्रज तव जिनेन्द्र ! गुणैनिबद्धा, भक्त्या मया रुचिर वर्ण विचित्र-पुष्पां / धचे जनो य इह कंठ-गतामजस्त्रं, तं मानतुंगमवशा समुपैति लक्ष्मीः // 48 // इति श्रीमानतुगाचार्य विरचित आदिनाथस्तोत्र (भक्तामर स्तोत्र)