________________ नित्य नियम पूजा [189 . कल्पांत-काल-पवनोद्धत-वह्नि कल्पं, दावानलं ज्वलितमुज्जवलमुत्स्फुलिङ्गम् / विश्वं जिघत्सुमिव सम्मुखमापतन्तं, त्वन्नाम-कीर्तन-जल शमयत्यशेषम् // 40 // रक्तेक्षणं समद-कोकिल-कंठ-नीलं, क्रोधोद्धतं फणिनमुत्फणमापतन्त / आक्रामति क्रम-युगेण निरस्त-शङ्क स्त्वन्नाम-नागदमनी हृदि यस्य पुसः // 41 // बल्गत्त रंग-गज-गर्जित-भीमनादमाजी बलं बलवतामपि भूपतीनां / उद्यदिवाकर-मयूख-शिखापविद्धं, त्वत्कीर्जनात्तम इवाशु भिदामुपैति // 42 // कुन्ताग्र-भिन्न-गज-शोणित-बारिवाहवेगावतार-तरणातुर-योधभीमे / युद्ध जयं विजित-दुर्जय-जेय-पक्षा स्त्वत्पाद-पंकज वनायिणो लभन्ते // 43 // अम्भोनिधौ क्षमित भीषण नक्रचक्रपाठीन-पीठ-भय-दोल्वणं वाडवाग्नौ / रङ्गतरङ्ग शिखर स्थित यान पात्रास्त्रास विहाय भवतः स्मरणाद् व्रजन्ति / / 44 //