________________ 144 / नित्य नियम पूजा खारिकाहि चिरभटादि रत्नथाल मैं भरूं। हर्णधारकै जजू सुमोक्ष सुक्खको वरु पार्श्व० 8 / ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय मोक्षफल प्राप्तये फल नि० // नीरगंध अक्षतान पुष्प चार लीजिये / दीप धूप श्रीफलादि अर्घतै जजीजिये : पाय० / / 9 / / ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेंद्राय अनर्घपद प्राप्तये अर्घ नि / पंचकल्याणक शुभप्रानत स्वर्ग विहाये, वामा माता उर आये। पैशाखतनी दुतिकारी, हम पूज विधन निवारी / 1 / ॐ ह्रीं वैशाखकृष्णाद्वितीयायां गर्भमंगलमंडिताय श्रीपार्श्वनाथ जिनेंद्रीय अर्ध नि० स्वाहा / जगमें त्रिभुवन सुखदाता, एकाशि पौष विख्याता / श्यामा तन अद्भुत राजै रवि कोटिक तेज स लोजै // 2 // ह्रींपौषकृष्णकादश्यां जन्ममंगलमंडिताय श्रीपा: जिनेंद्राया कलि पौष एकादशि आई, तब बारह भावनभाई। अपने कर लोंच सु कीना हम पूलै चरन जजीना / 3 / / ॐ श्रींपौषकृष्णकादश्यांतपोमंगलमंडिताय श्रीपार्श्वजिनेंद्राया कलि चैत्र चतुर्थी आई, प्रभु केवलज्ञान उपाई। तब प्रभु उपदेश जु कीना, भवि जीवनको सुख दीना // 4 // ॐ ह्रीं चैत्रकृष्णचतुर्थी दिनेकेवलज्ञानप्राप्ताय श्रीपार्श्वनाथाया. सित तातै सावन आई, शिवनारि वरी जिनराई / / सम्मेदाचल हरि माना, हम पूमैं मोक्ष कल्याना // 5 // ह्रीं श्रावणशुक्लासप्तम्यां मोक्षमंगलमंडिताय श्रीपाननाथाया