________________ नित्य नियम पूजा जयमाला पारसनाथ जिनेन्द्र तने वच, पौनभखी जरतें सुन पाये। करयो सरधान लह्यो पद आन भयो प्रद्मावती शेष कहाये। नाम प्रताप टरै संताप सु भव्यनको शिवशरम दिखाये / है विश्वसेनके नन्द भले, गुणगावत हैं तुमरे हरशाये // 1 // दोहा-केकी-कंठ समान छवि, वपु उतंग नब हाथ / __ लक्षण उरग निहार पग, वन्दों पारसनाथ / 2 / / पद्धरि छन्द रची नगरी छहमास अगार, बने चहुँगोपुर शोभ अपार / सुकोटतनी रचना छवि देत, कंगूरन लहकै बहुकेत / 3 / बनारसकी रचना जु अपार, करि बहु भांति धनेश तैयार। तहां विश्वसेन नरेन्द्र उदार, करै सुख वाम सु दे पटनार / 4 तज्यों तुम प्राणत नाम विमान, भये तिनके वर नंदन आन / तबै सुरइन्द्र-नियोगन आय, गिरिंद करी विधि न्हौन सुजाय // पिता घर सौंपि गये निजधाम,कुवेर करै वसु जाम सुकाम / बढ़े निज दौज मयंक समान, रमै बहु बालक निर्जर आन !.6 भये जब अष्टम वर्ष कुमार, धरे अणुव्रत महा सुखकार / पिता जब आनकरी अरदास करो तुम न्याह वरो मम आश करी तब नाहिं, रहे जगचंद,किये तुम काम कषाय जु मंद। चढे गजराज कुमारन संग, सु देखत गंगतनी सु तरंग // 8 // लख्यो इक रंक करें तप घोर चहुँदिशि अगनि बलौ अतिजोर कहै जिननाथ अरे सुन भात करै बहुजीवनकी मत घात / 9 / 10