________________ [ 143 नित्य नियम पूजा क्षीरसोमके समान अम्बुसार लाइये हेमपात्र धारिक सु आपको चढाइये / "पाश्वनाथ देव सेव आपकी करू सदा, दीजिये निवास मोक्ष भूलिये नहीं कदा / / ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेंद्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं / / चन्दनादि केशरादि स्वच्छ गन्ध लीजिये / / आप चर्न चर्च मोहतापको हनीजिये / / पाच // 2 // ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेंद्राय भवतापविनाशनाय चंदनं नि: केन चन्दनके समोन अक्षतान् लायक। वर्गके समीप सार पुजको रचाइक / / पार्श्व• / 3 // ॐ ह्रीं श्रोपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् नि। केवड़ा गुलाब और केतकी चुनाइके / धार वर्णके समीप कामको नसाइक // पार्श्व० / / 4 / ॐ ह्रीं श्री पार्श्वनाथ जिनेन्द्राय कामबाणविध्वंशनाय पुष्प नि० घेवरादि बाबरादि मिष्ट सद्य में सने। आप चर्ण चर्चते क्षुधादि रोगको हने / पाव०॥५॥ ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्य निक लाय रत्नदीपको सनेहपूरके भरू। वातिका कपूर वारि मोह ध्वांतकू हरू / पार्श्व० // 6 // ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय मोहान्धकारविनाशनाय दीपनि धूप गन्ध लेयकै सु अग्निसंग जारिये / / तास धृपके ससंग अष्ट कर्म वारिये ॥पार्य० // 7 // ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय अष्टकर्मदहनाय धूप नि /