________________ नित्य नियम पूजा पुनि राजमाहि लहि चकरत्न,भोग्यौ छखंड करि धरम यत्न पुनि तप धरि केवलरिद्धिपाय,भबि जीवनकों शिवमग बताय शिवपुर पहुँचे तुम हे जिनेश, गुणमंडित अतुल अनंतामेष / मैं ध्यावतुहीं नित शीश नाय,हमरी मवबाधा हरि जिनाय 10 सेवक अपनों निज जान 2, करुणा करि भौभय भान-भान / यह विघन मूलतरू खांडखड, चितवितित आनंद मंडमंड 11 घता-श्रीशांति महंता, शिवतियता,सुगुन अनंता भगवंता। भवभ्रमन हनंता,सौख्य अनंता,दातारं तारनवंता / 12 ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ जिनेन्द्राय पूर्णाऱ्या निर्वपामोति स्वाहा / छन्द रुपक सवैया (मात्रा 31) शांतिनाथ जिनके पदपंकज, जो भवि पूजै मनव चकाय जनम जनमके पातक ताके, ततछिन तजि के जाय पलाय // मनवांछित सुख पावे सौ नर, बाचै भगतिभाव अतिलाय / ता” 'वृन्दावन' नित बंद, जाते शिवपुरराज कराय / / ( इत्याशीर्वादः / पुष्पांजलि क्षिपेत् / श्री पार्श्वनाथ पूजा - गीता छन्द वर स्वर्ग प्राणतको विहाय, सुमात वामा सुत भये / अश्वसेनके पारस जिनेश्वर, चरण जिनके सुर नये / / नवहाथ उन्नत तन विराज, उरग लच्छन पद लसे / थापू तुम्हें निन आय तिष्ठो करम मेरे सब नौं / ॐ ह्रीं श्री पार्श्वनाथ जिनेन्द्राय ! अत्र अवतर अवतर संवोषट / ॐ ह्रीं श्री पार्श्वनाय जिनेन्द्राय ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापन ॐ ह्रीं श्री पार्श्वनाथजिनेन्द्राय ! अत्र मम सन्निहितो भव२ वषट