________________ नित्य नियम पूजा [ 141 जयमाला शांति शांतिगुनमंडिते सदा जाहि ध्यावत सु पडिते सदा / मैं तिन्हें भक्तिमंडिते सदा पूजिहों कलुषहंडिते सदा / 5 / मोच्छ हेतु तम ही दयाल हो, हे जिनेश गुनरत्नमाल हो। मैं अबै सुगणदाम ही घरों ध्यावते तुरित मुक्ति-तीय वरों छन्द पद्धरि ( 16 मात्रा) जय शांतिनाथ चिद्रुपराज, भवसागर में अद्भुत जहाज / तम तजि सरवारसिद्धथान सरवारथजुत गनपुर महान ||1 तिन जनम लियो आनन्द धार, हरि तत छिन आयौ राजद्वार इन्द्रानी जाय प्रसूतिथान, तुमको कर में ले हरष मान / / 2 / / हरि गोद देय सो मोद धार, शिर चमर अमर ढारत अपार गिरिराज जाय तित शिला पांड, ताजै थाप्यौ अभिषेक मांड तित पंचमउदधि तनौं सुबार, सुकर करकरि ल्याये उदार। तव इन्द्र सहस करकरि आनंद, तुम सिर धाग ढारयौ सुनंद 4 अघ घघघघघघ धुनि होत घोर,भभभभभभ धधधध कलशशोर हमममम वाजत मृदंग, झन नननननननन न पुरंग / / 5 / / तननननननननन तनन तान धननननन घंटा करत ध्वान। ता थेईथेईथेईथेईथेई सुचाल, जुत नाचत गावत तुमहिं भाल चटचटचट अटपट नटत नाट, झटझटझट हट नट शट विराट इमि नाचत रात भगतरंग, सुर लेत जहां आनंद सग / / 7 इत्यादि अतुलमंगल सुठाट, सित बन्यो जहां सुरगिर विराट पुनिकारवियोमा पितृसदन बाय,हरि सौप्यो तुम तितरथाय